आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल करके दबाव बना रहे…भय के भयंकर शस्त्र दिखाकर धन लूटने की खुशियाँ मना रहे…कभी ईडी , कभी लोकायुक्त, कभी आयकर , कभी सीबीआई अफसर बन ख़ौफ़ दिखाते हैं…सम्बंधित की सारी सूचनाएं जुटाकर कहते मान जा नहीं तो सबक सिखाते हैं…भयभीत इंसान उनके डरावने संवादों के चक्रव्यूह में फंस जाता है…कुछ ही क्षण में उनके द्वारा आर्थिक जुगाड़ का फन फैलाया नाग डस जाता है…पश्चाताप तो तब होता है जब उनकी करतूतों का खुलासा होता है…तब उनके बताए डराए एक एक पल पर पीड़ित रोता है…कभी सेक्सटॉर्शन, कभी आर्थिक अनियमितता का भय दिखाना आम बात है…इस तरह का गिरोह वर्षों से अपनी आमद दिखा खिलौने बना रहा जज़्बात है…दुख इस बात का है आधुनिक संसाधनों व मस्तिष्क का उपयोग कर लुटेरे लूट रहे हैं…पुलिस के खुफिया विभाग व सायबर सेल की पहुँच से परे रहकर छूट रहे हैं…गिरोह इतना मजबूत है कि उसने तो केन्द्र सरकार के मंत्री तक को नहीं छोड़ा…पुलिस ने तब बमुश्किल उनको किसी शहर से दबोचकर भरतपुर के गिरोह का भण्डा फोड़ा…दिल्ली व नोएडा से लगाकर विदेशी भूमि तक इनके तार जुड़े हैं…बावजूद इनके कोई भी गुर्गे सलाखों की तरफ नहीं मुड़े हैं…ऐसी भी क्या लाचारी है कि खुफिया विभाग तक इन तक नहीं पहुँच पा रहा…मानते हैं कि जनता की लापरवाही से ही ये संकट सामने आ रहा…जिनकी करतूतों को पुलिस का चाक चौबंद सायबर सेल तक नहीं जान पाया…आमजन उनको कैसे समझेगा ये क्यों नहीं विभाग मान पाया…ये भी सच है कि पीड़ित की सम्पत्ति व धन दौलत कहीं न कहीं लगता अवैध है…तभी तो वे डरकर सरेंडर कर देते अपने बैंक बैलेंस जो वैध है…मगर पुलिस का नियंत्रण व अंकुश समाज की ताकत है…जानते हैं इन मसलों पर कितनी संवेदना व कितनी नजाकत है…कभी पुलिस अफसर बनकर अपनी फोटो व हथकड़ी का दृश्य दिखाते व डराते हैं…फोन से हटने नहीं देते हो जाते कई दिन व रातें है…नासमझ हो या समझदार डर हर किसी को सताता है…ये गिरोह दबाव के साथ कुछ ऐसे ही भय के दृश्य दिखाता है…इन घटनाओं को रोकना चुनौती के साथ साथ जरूरी भी है…अपराधियों की चालाकी व घटनास्थल से लंबी दूरी भी है…चालक अपराधी पीड़ित के खाते से लगाकर रिश्ते नाते तक सारी जानकारी पहले सहेजते हैं…फिर अपने तरीके से उनको पीड़ित के इर्द गिर्द भेजते हैं…पीड़ित भी सच मानकर उनसे भयभीत हो जाता है…यही तरीका अगले अपराध की रीत बो जाता है…सारा तंत्र व जन जन मिलकर इसका मुकाबला करें…पकड़े गए अपराधियों को फांसी के फंदे पर धरें…तब जाकर ये विकराल समस्या हल होगी…वरना जो आज हुई है वो निश्चित तौर पर किसी दूसरे के साथ कल होगी…