Chandra Grahan 2025 : आज यानी 7 सितंबर 2025 को साल का दूसरा और आखिरी चंद्र ग्रहण लगा। यह खगोलीय घटना भारत में साफ दिखाई दी। हिंदू धर्म में ग्रहण को अशुभ माना जाता है और इसी कारण ग्रहण शुरू होने से पहले सूतक काल की शुरुआत होती है, जो ग्रहण समाप्त होने के साथ ही खत्म हो जाती है। आज रात लाखों लोगों की निगाहें आसमान पर टिकी रहीं, क्योंकि चंद्र ग्रहण का अद्भुत दृश्य हर किसी को आकर्षित कर रहा था।
कब और कितनी देर रहा ग्रहण?
यह पूर्ण चंद्र ग्रहण रात 9:58 बजे शुरू हुआ और 8 सितंबर की रात 1:26 बजे समाप्त हुआ। इस दौरान करीब 82 मिनट तक चंद्रमा पृथ्वी की छाया में ढका रहा। खगोलविदों के मुताबिक, यह साल 2022 के बाद अब तक का सबसे लंबा पूर्ण चंद्र ग्रहण रहा। भारत में इसे देखने का सबसे उपयुक्त समय रात 11:00 बजे से लेकर 12:22 बजे तक रहा, जब चंद्रमा लाल रंग की आभा में बेहद खूबसूरत नजर आया।
भारत में कहां-कहां दिखा नजारा?
ग्रहण का दृश्य भारत के अधिकांश हिस्सों में साफ देखा गया। दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, हैदराबाद, बेंगलुरु, अहमदाबाद, जयपुर और लखनऊ जैसे बड़े शहरों में लोगों ने बिना किसी बाधा के इसका अवलोकन किया। खगोल विज्ञानियों का कहना है कि पश्चिम बंगाल, खासकर कोलकाता में यह ग्रहण सबसे स्पष्ट और लंबे समय तक नजर आया, क्योंकि वहां रात के समय चांद ऊंचाई पर था और बादलों का कोई व्यवधान नहीं था।
भारत ही नहीं, दुनिया भर में छाया नजारा
भारत के अलावा एशिया, अफ्रीका, यूरोप और ऑस्ट्रेलिया के कई हिस्सों में भी लोग इस अनोखी खगोलीय घटना के साक्षी बने। चंद्रमा की लालिमा और धरती की छाया का संगम लोगों के लिए किसी अद्भुत दृश्य से कम नहीं था।
धार्मिक मान्यता और महत्व
जहां वैज्ञानिक दृष्टिकोण से चंद्र ग्रहण एक सामान्य खगोलीय घटना है, वहीं धार्मिक मान्यताओं में इसे अशुभ माना जाता है। इसी वजह से ग्रहण काल के दौरान धार्मिक अनुष्ठान और पूजा-पाठ से परहेज किया जाता है। ग्रहण समाप्त होने के बाद स्नान और दान-पुण्य की परंपरा निभाई जाती है।