स्टॉक मार्केट धोखाधड़ी मामले में भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) की पूर्व चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। मुंबई की एक विशेष भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) कोर्ट ने उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है। यह मामला शेयर बाजार धोखाधड़ी और SEBI के नियमों का उल्लंघन करने से जुड़ा है। इसके अलावा, कोर्ट ने मामले में पांच अन्य अधिकारियों के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है। ठाणे के पत्रकार सपन श्रीवास्तव ने इस मामले में याचिका दायर की थी, और कोर्ट ने उनकी याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश जारी किया।
कोर्ट ने FIR का दिया आदेश
विशेष जस्टिस एसई बांगर की कोर्ट ने आदेश दिया कि एसीबी को 30 दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट पेश करनी होगी। कोर्ट ने कहा कि आरोपों के आधार पर संज्ञेय अपराध का पता चलता है, और यह मामले की जांच आवश्यक है। प्रारंभिक रूप से यह दिखता है कि कुछ अधिकारियों ने मिलकर गलत काम किए हैं। कोर्ट ने यह भी माना कि SEBI और कानून प्रवर्तन की निष्क्रियता के कारण इस मामले की जांच सीआरपीसी की धारा 156(3) के तहत होनी चाहिए।
इस शिकायत में माधबी पुरी बुच के अलावा SEBI के अन्य अधिकारी जैसे पूर्णकालिक सदस्य अश्विनी भाटिया, अनंत नारायण, और कमलेश चंद्र वार्ष्णेय के नाम भी शामिल हैं। इसके साथ ही, BSE के चेयरमैन प्रमोद अग्रवाल और CEO सुंदररामन राममूर्ति भी आरोपों में घिरे हैं।
क्या हैं मामला ?
यह मामला 1994 में शुरू हुआ जब याचिकाकर्ता ने कैल्स रिफाइनरीज लिमिटेड के शेयरों में निवेश किया था, जो उस समय बीएसई इंडिया में सूचीबद्ध था। बाद में उन्हें भारी नुकसान हुआ, और उन्होंने आरोप लगाया कि कंपनी ने जानबूझकर शेयरधारकों को नुकसान पहुंचाया। इस मामले में SEBI और BSE ने कोई कार्रवाई नहीं की, और पुलिस ने भी किसी प्रकार का एक्शन नहीं लिया। इसके बाद, श्रीवास्तव ने न्यायालय का दरवाजा खटखटाया, और कोर्ट ने आरोपों की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए जांच के आदेश दिए।