भोपाल: मध्य प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग ने आम लोगों के स्वास्थ्य से जुड़े एक बड़े मामले में कार्रवाई की है। राज्य सरकार के आयुष विभाग ने डाबर और हिमालय जैसी प्रतिष्ठित कंपनियों समेत कुल 7 आयुर्वेदिक दवाओं की बिक्री, भंडारण और वितरण पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। यह फैसला इन दवाओं के सरकारी लैब की जांच में ‘अमानक’ (Substandard) पाए जाने के बाद लिया गया है।
यह कार्रवाई उस राष्ट्रव्यापी सतर्कता का हिस्सा है, जो कुछ समय पहले जम्मू में एक कफ सिरप के कारण हुई बच्चों की मौत के बाद शुरू हुई थी। उस घटना में ‘कोल्ड बेस्ट-पीसी’ नामक कफ सिरप में ‘डायथिलीन ग्लाइकॉल’ जैसा जहरीला पदार्थ पाया गया था, जिसके चलते कई बच्चों की जान चली गई थी। इसके बाद से ही केंद्र और राज्य सरकारें दवाओं की गुणवत्ता को लेकर अतिरिक्त सावधानी बरत रही हैं।
इन 7 दवाओं पर लगाया गया प्रतिबंध
आयुष विभाग द्वारा जारी आदेश के अनुसार, जिन दवाओं को प्रतिबंधित किया गया है, वे प्रदेश के अलग-अलग जिलों से जांच के लिए इकट्ठी की गई थीं। इन दवाओं की सूची इस प्रकार है:
1. सुदर्शन घनवटी: (निर्माता – डाबर इंडिया लिमिटेड)
2. अर्शान्तक वटी: (निर्माता – शिवाय फार्मास्युटिकल्स)
3. शिवाय सर्दी जा: (निर्माता – शिवाय फार्मास्युटिकल्स)
4. धन्वंतरि गैसहर वटी: (निर्माता – श्री धन्वंतरि हर्बल्स)
5. धन्वंतरि कफचिंतामणि रस: (निर्माता – श्री धन्वंतरि हर्बल्स)
6. सुगंधा वाला: (निर्माता – सुगंधा कंपनी)
7. हिमप्लासिया टैबलेट: (निर्माता – हिमालय ड्रग कंपनी)
जांच में कैसे हुआ खुलासा?
जानकारी के अनुसार, आयुष विभाग के औषधि निरीक्षकों (Drug Inspectors) ने ग्वालियर, इंदौर और जबलपुर समेत कई जिलों से इन दवाओं के सैंपल एकत्र किए थे। इन सैंपलों को आगे की जांच के लिए भोपाल स्थित शासकीय आयुर्वेद एवं यूनानी औषधि परीक्षण प्रयोगशाला भेजा गया।
प्रयोगशाला की विस्तृत जांच रिपोर्ट में इन सभी 7 दवाओं को गुणवत्ता के निर्धारित मानकों पर खरा नहीं पाया गया, जिसके बाद इन्हें ‘अमानक’ घोषित कर दिया गया। रिपोर्ट मिलते ही विभाग ने त्वरित कार्रवाई करते हुए प्रतिबंध का आदेश जारी किया।
कानूनी कार्रवाई और आगे की दिशा
यह प्रतिबंध औषधि और प्रसाधन सामग्री अधिनियम, 1940 (Drugs and Cosmetics Act, 1940) के प्रावधानों के तहत लगाया गया है। इस आदेश के बाद अब मध्य प्रदेश में कोई भी इन दवाओं को न तो बेच सकेगा और न ही अपने पास स्टॉक में रख सकेगा।
विभाग ने सभी संबंधित अधिकारियों को बाजार में इन दवाओं की उपलब्धता पर नजर रखने और आदेश का सख्ती से पालन सुनिश्चित कराने के निर्देश दिए हैं। इस कार्रवाई से दवा निर्माताओं के बीच गुणवत्ता नियंत्रण को लेकर एक कड़ा संदेश गया है। सरकार का कहना है कि नागरिकों के स्वास्थ्य की सुरक्षा उनकी सर्वोच्च प्राथमिकता है और इस तरह की जांच भविष्य में भी जारी रहेगी।