भोपाल: मध्य प्रदेश को रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में एक प्रमुख केंद्र बनाने के उद्देश्य से शिवराज सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है। मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में ‘मध्य प्रदेश रक्षा उत्पादन प्रोत्साहन नीति-2023’ को मंजूरी दे दी गई। इस नीति का मुख्य लक्ष्य सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSME) को रक्षा उत्पादों के निर्माण के लिए आकर्षित करना और उन्हें हर संभव सहायता प्रदान करना है।
सरकार का मानना है कि इस नीति से न केवल प्रदेश में बड़ा निवेश आएगा, बल्कि रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे। यह कदम केंद्र सरकार के ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान को मजबूती देगा, जिसके तहत देश को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने पर जोर दिया जा रहा है। नीति के तहत इकाइयों को निवेश से लेकर टेक्नोलॉजी अपग्रेडेशन, गुणवत्ता प्रमाणन और निर्यात तक में सरकारी मदद मिलेगी।
पूंजीगत और ब्याज सब्सिडी का प्रावधान
नई नीति के तहत रक्षा उत्पादन से जुड़ी MSME इकाइयों को महत्वपूर्ण वित्तीय सहायता दी जाएगी। इसमें सबसे प्रमुख प्लांट और मशीनरी की लागत पर 50% तक की पूंजीगत सब्सिडी है, जिसकी अधिकतम सीमा 10 करोड़ रुपये रखी गई है। इसके अलावा, उद्योगों को सात वर्षों तक 5% की दर से ब्याज सब्सिडी भी प्रदान की जाएगी। इस सब्सिडी की वार्षिक सीमा 2 करोड़ रुपये होगी। इन कदमों से उद्यमियों पर शुरुआती वित्तीय बोझ कम होगा।
टेस्टिंग, क्वालिटी और स्किल डेवलपमेंट पर जोर
रक्षा उत्पादों के लिए उच्च गुणवत्ता और सटीक परीक्षण सुविधाएं अनिवार्य हैं। इसे ध्यान में रखते हुए नीति में कई विशेष प्रावधान किए गए हैं:
टेस्टिंग लैब: निजी क्षेत्र में टेस्टिंग लैब स्थापित करने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर लागत का 50% (अधिकतम 20 करोड़ रुपये) की सहायता दी जाएगी।
गुणवत्ता प्रमाणन: राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के गुणवत्ता प्रमाणपत्र हासिल करने के लिए लगने वाली फीस की प्रतिपूर्ति सरकार करेगी। इसकी सीमा 10 लाख रुपये तक होगी।
स्किल डेवलपमेंट: कर्मचारियों के कौशल विकास के लिए प्रति कर्मचारी प्रति वर्ष 13,000 से 25,000 रुपये का अनुदान तीन साल तक दिया जाएगा।
पेटेंट: नए उत्पादों के पेटेंट पंजीकरण के लिए 5 लाख रुपये तक की वित्तीय सहायता का भी प्रावधान है।
अन्य महत्वपूर्ण रियायतें
वित्तीय सहायता के अलावा, सरकार ने उद्योगों को सुचारू रूप से चलाने के लिए कई अन्य रियायतें भी दी हैं। इनमें सात वर्षों के लिए बिजली शुल्क से पूरी तरह छूट शामिल है। साथ ही, स्टांप शुल्क और पंजीकरण शुल्क की भी शत-प्रतिशत प्रतिपूर्ति की जाएगी। निजी औद्योगिक पार्क विकसित करने वाले डेवलपर्स को भी इंफ्रास्ट्रक्चर लागत का 50% (अधिकतम 10 करोड़ रुपये) तक की मदद मिलेगी, ताकि रक्षा उत्पादन के लिए एक समर्पित इकोसिस्टम तैयार हो सके।