मध्य प्रदेश की मोहन यादव सरकार ने किसानों के हित में एक बड़ा फैसला लिया है। राज्य कैबिनेट ने भावांतर भुगतान योजना के तहत सरसों और मूंगफली उत्पादक किसानों के पुराने बकाए के भुगतान को मंजूरी दे दी है। इस निर्णय से प्रदेश के हजारों किसानों को सीधे तौर पर लाभ मिलेगा, जिनका पैसा पिछले कई सालों से अटका हुआ था।
सहकारिता मंत्री विश्वास सारंग ने कैबिनेट बैठक के बाद मीडिया को जानकारी देते हुए बताया कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में हुई बैठक में कई अहम प्रस्तावों पर मुहर लगाई गई है। इसमें सबसे प्रमुख निर्णय कृषि क्षेत्र से जुड़ा है, जो 2017-18 और 2018-19 के दौरान अपनी उपज बेचने वाले किसानों को राहत देगा।
भावांतर योजना के तहत मिलेगी राशि
सरकार द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, वर्ष 2017-18 और 2018-19 में जिन किसानों ने भावांतर भुगतान योजना के अंतर्गत अपनी फसल बेची थी, उनकी राशि का भुगतान अब किया जाएगा। विशेष रूप से सरसों और मूंगफली की खेती करने वाले किसानों के लिए यह फैसला लिया गया है। मंत्री विश्वास सारंग ने स्पष्ट किया कि इस निर्णय के तहत पात्र किसानों के खातों में जल्द ही राशि ट्रांसफर की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
क्या है भावांतर भुगतान योजना?
भावांतर भुगतान योजना का उद्देश्य किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाना है। जब मंडी में फसल का भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से कम होता है, तो सरकार उस अंतर की राशि का भुगतान सीधे किसानों के बैंक खातों में करती है। इसी अंतर को ‘भावांतर’ कहा जाता है। पूर्व में हुए सौदों की बकाया राशि को मंजूरी मिलने से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलने की उम्मीद है।
कैबिनेट के अन्य प्रमुख फैसले
कैबिनेट बैठक में कृषि के अलावा शिक्षा और स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दों पर भी चर्चा हुई। सरकार ने प्रदेश के विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों और कर्मचारियों के हित में भी निर्णय लिए हैं। मंत्री सारंग ने बताया कि सातवें वेतनमान के एरियर की चौथी किस्त के भुगतान को भी कैबिनेट ने स्वीकृति दे दी है।
“मंत्रिपरिषद ने निर्णय लिया है कि वर्ष 2017-18 और 2018-19 में भावांतर भुगतान योजना के अंतर्गत सरसों और मूंगफली के किसानों की जो राशि शेष थी, उसका भुगतान किया जाएगा।” — विश्वास सारंग, सहकारिता मंत्री
इसके अलावा, स्वास्थ्य विभाग में भी पदों की वृद्धि को लेकर फैसला हुआ है। सरकार ने स्वास्थ्य विभाग में विशेषज्ञों के पदों में बढ़ोतरी करने का निर्णय लिया है। अब सीधी भर्ती के माध्यम से 50 प्रतिशत पदों को भरा जाएगा, जबकि शेष 50 प्रतिशत पद पदोन्नति (प्रमोशन) के जरिए भरे जाएंगे। इससे अस्पतालों में विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी को दूर करने में मदद मिलेगी।
किसानों को बड़ी राहत
लंबे समय से किसान संगठनों द्वारा पुरानी बकाया राशि के भुगतान की मांग की जा रही थी। इस फैसले को लोकसभा चुनाव से पहले किसानों को साधने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है। सरकार का कहना है कि वह किसानों की आय बढ़ाने और उन्हें आर्थिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है।