मध्य प्रदेश में महिलाओं के लिए बड़ा कदम, अब फैक्ट्रियों में नाइट शिफ्ट की मिली इजाजत, सरकार ने जारी किए कड़े नियम

भोपाल: मध्य प्रदेश में महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए राज्य सरकार ने महिलाओं को फैक्ट्रियों में नाइट शिफ्ट में काम करने की अनुमति दे दी है। श्रम विभाग द्वारा इस संबंध में एक आधिकारिक अधिसूचना जारी कर दी गई है, जिसके बाद अब महिलाएं शाम 7 बजे से सुबह 6 बजे के बीच भी काम कर सकेंगी।

यह फैसला उन हजारों महिला कर्मचारियों के लिए रोजगार के नए अवसर खोलेगा जो पहले केवल दिन की पाली में काम करने तक सीमित थीं। सरकार ने यह स्पष्ट किया है कि यह अनुमति स्वैच्छिक होगी और किसी भी महिला कर्मचारी पर नाइट शिफ्ट के लिए दबाव नहीं बनाया जा सकता। इसके लिए नियोक्ता को महिला से लिखित सहमति लेनी होगी।

सुरक्षा और सहमति सर्वोपरि

सरकार ने महिलाओं की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए कई कड़े नियम और शर्तें लागू की हैं। इन दिशा-निर्देशों का पालन करना सभी फैक्ट्री मालिकों के लिए अनिवार्य होगा।

अधिसूचना के अनुसार, नियोक्ता को यह सुनिश्चित करना होगा कि रात की पाली में काम करने वाली महिला कर्मचारियों की सुरक्षा, सम्मान और गरिमा का पूरा ध्यान रखा जाए। इसके लिए कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) अधिनियम, 2013 के तहत एक आंतरिक शिकायत समिति का गठन करना अनिवार्य है। इस समिति की जानकारी कार्यस्थल पर प्रमुखता से प्रदर्शित की जानी चाहिए।

नियोक्ता की प्रमुख जिम्मेदारियां

नाइट शिफ्ट में महिलाओं को काम पर रखने वाले नियोक्ताओं के लिए कई जिम्मेदारियां तय की गई हैं, जिनमें शामिल हैं:

परिवहन की सुविधा: नियोक्ता को रात की पाली में काम करने वाली महिला कर्मचारियों को उनके घर से फैक्ट्री तक और फैक्ट्री से वापस घर तक परिवहन की सुरक्षित सुविधा उपलब्ध करानी होगी।

सुरक्षित माहौल: कार्यस्थल, आने-जाने के रास्ते, शौचालय, कैंटीन और अन्य सुविधाओं तक पर्याप्त रोशनी की व्यवस्था करनी होगी।

समूह में काम: किसी भी रात की पाली में कम से कम 5 महिलाओं का एक समूह होना चाहिए। अकेली या कम संख्या में महिलाओं को नाइट शिफ्ट में काम करने की अनुमति नहीं होगी।

नियमित रिपोर्टिंग: नियोक्ता को हर महीने फैक्ट्री निरीक्षक को एक रिपोर्ट भेजनी होगी, जिसमें रात की पाली में काम करने वाली महिलाओं का विवरण होगा।

तत्काल कार्रवाई: यौन उत्पीड़न की किसी भी घटना की सूचना तुरंत फैक्ट्री निरीक्षक और स्थानीय पुलिस स्टेशन को देनी होगी। नियोक्ता को ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने होंगे।

यह छूट कारखाना अधिनियम, 1948 की धारा 66(1)(बी) के तहत दी गई है और यह मध्य प्रदेश में इस अधिनियम के तहत पंजीकृत सभी कारखानों पर लागू होगी। इस फैसले से राज्य में औद्योगिक विकास को गति मिलने और महिलाओं की आर्थिक भागीदारी बढ़ने की उम्मीद है।