मध्य प्रदेश के विधायकों को मिल सकती है बड़ी राहत: अतिरिक्त सहायक की सुविधा और वेतन-पेंशन में इजाफे की संभावना!

भोपाल से सामने आई अहम जानकारी ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। मध्य प्रदेश में विधायकों को मिलने वाली सुविधाएं जल्द ही बढ़ सकती हैं। अब तक उन्हें केवल एक सरकारी कर्मचारी की सहायता मिलती थी, लेकिन अब एक और कर्मचारी देने की तैयारी चल रही है, जिससे उनके दफ्तर के कामकाज को बेहतर और व्यवस्थित बनाया जा सकेगा।

फिलहाल विधायकों को एक-एक सहायक उपलब्ध है, जो उनके विधायी और जनसंपर्क से जुड़े कार्यों में मदद करता है। लेकिन जब वह कर्मचारी अवकाश पर रहता है या निर्धारित समय के बाद कार्य नहीं कर पाता, तो विधायकों को परेशानी होती है। इसी समस्या को लेकर कुछ जनप्रतिनिधियों ने विधानसभा की सदस्य सुविधा समिति के सामने मुद्दा उठाया।

समिति ने इस पर सहमति जताई कि मौजूदा समय में कार्य की मात्रा काफी बढ़ चुकी है। अब डिजिटल प्लेटफॉर्म पर काम करना पड़ता है और जनकल्याणकारी योजनाओं से लेकर पत्राचार और रिपोर्ट तैयार करने जैसे कार्यों में केवल एक कर्मचारी पर्याप्त नहीं है। समिति ने अनुशंसा की है कि प्रत्येक विधायक को एक अतिरिक्त तृतीय श्रेणी कर्मचारी उपलब्ध कराया जाए। सामान्य प्रशासन विभाग अब इस प्रस्ताव को उच्च स्तरीय मंजूरी के लिए भेज रहा है।

डिजिटलाइजेशन ने विधायकों के काम में कई गुना बढ़ोतरी कर दी है। उन्हें विधानसभा सचिवालय, निर्वाचन आयोग और अन्य शासकीय कार्यालयों से लगातार समन्वय बनाए रखना होता है। साथ ही क्षेत्रीय विकास निधि और विभिन्न योजनाओं की प्रगति रिपोर्ट भी तैयार करनी होती है, जिसके लिए स्थायी और प्रशिक्षित स्टाफ की जरूरत महसूस की जा रही है।

सिर्फ अतिरिक्त कर्मचारी ही नहीं, बल्कि वेतन और पेंशन में वृद्धि का प्रस्ताव भी सुर्खियों में है। सूत्रों के अनुसार, सदस्य सुविधा समिति ने सिफारिश की है कि विधायकों का वेतन लगभग 40% और पेंशन में 30% तक की बढ़ोतरी की जाए। यह प्रस्ताव अब संसदीय कार्य विभाग के जरिए सरकार के पास भेजा गया है।

इस समय प्रदेश के विधायकों को लगभग 1.10 लाख रुपये प्रतिमाह वेतन और भत्ते मिलते हैं। इसमें 30 हजार रुपये वेतन के साथ-साथ निर्वाचन, यात्रा, स्टेशनरी, मोबाइल और चिकित्सा भत्ते शामिल हैं। अगर नया प्रस्ताव पारित होता है, तो यह बढ़कर करीब 1.5 लाख रुपये तक हो जाएगा और पेंशन भी 58 हजार तक पहुंच सकती है।

अन्य राज्यों की तुलना में मध्य प्रदेश के विधायकों को कम वेतन मिलता है। उदाहरण के लिए, झारखंड में 2.90 लाख, तेलंगाना में 2.50 लाख और महाराष्ट्र में 2.32 लाख रुपये प्रतिमाह वेतन दिया जाता है। इसलिए मध्य प्रदेश के विधायक अब वेतन में समानता की मांग कर रहे हैं।

अब सबकी निगाहें मुख्यमंत्री के फैसले पर टिकी हैं। अंतिम निर्णय उन्हीं को लेना है। यदि वे इस प्रस्ताव को मंजूरी देते हैं, तो यह विधायकों के लिए एक बड़ी राहत और समर्थन साबित होगा। जनता और राजनीतिक विश्लेषक इस पर सरकार की आधिकारिक मुहर का इंतजार कर रहे हैं।