भोपाल। मध्य प्रदेश में अब सड़कों की स्थिति जानने या खराब रास्तों की शिकायत करने के लिए गूगल मैप्स पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं होगी। लोक निर्माण विभाग (PWD) ने अपने ‘लोकपथ मोबाइल ऐप’ का दूसरा संस्करण (2.0) तैयार कर लिया है। यह नया ऐप जीआईएस (जियोग्राफिक इन्फॉर्मेशन सिस्टम) तकनीक से लैस है, जो प्रदेश के हर कोने की सटीक जानकारी देगा।
विभाग का दावा है कि इस ऐप के जरिए न केवल सड़कों की मॉनिटरिंग आसान होगी, बल्कि आम जनता भी सीधे तौर पर सड़क सुधार की प्रक्रिया से जुड़ सकेगी। यह कदम प्रदेश की सड़कों को गड्ढा मुक्त बनाने के सरकारी अभियान का हिस्सा है।
जीआईएस आधारित तकनीक से निगरानी
लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों के अनुसार, लोकपथ 2.0 ऐप पूरी तरह से जीआईएस आधारित है। इसमें प्रदेश की सभी प्रमुख सड़कों, पुलों और निर्माण कार्यों का डेटा डिजिटल रूप में उपलब्ध होगा। पहले वर्जन की तुलना में इसे अधिक यूजर-फ्रेंडली और तकनीकी रूप से उन्नत बनाया गया है। अब अधिकारी अपने मोबाइल पर ही देख सकेंगे कि किस सड़क पर काम चल रहा है और कहां मरम्मत की तत्काल आवश्यकता है।
आम नागरिक ऐसे कर सकेंगे शिकायत
इस ऐप की सबसे बड़ी खासियत इसकी जनभागीदारी है। अगर किसी नागरिक को सड़क पर गड्ढा या टूट-फूट दिखाई देती है, तो वह लोकपथ ऐप के जरिए उसकी फोटो खींचकर अपलोड कर सकता है। जीपीएस लोकेशन के कारण विभाग को सटीक जगह का पता चल जाएगा। शिकायत दर्ज होते ही संबंधित अधिकारी के पास सूचना पहुंच जाएगी और तय समय सीमा में समस्या का समाधान करना अनिवार्य होगा।
गूगल मैप्स से बेहतर डेटा का दावा
विभाग का मानना है कि गूगल मैप्स पर कई बार ग्रामीण या दूर-दराज के इलाकों की सड़कों की अद्यतन स्थिति (Live Status) सही नहीं मिल पाती है। लोकपथ 2.0 में विभागीय डेटाबेस का उपयोग किया गया है, जो अधिक विश्वसनीय है। इसमें सड़कों की लंबाई, चौड़ाई और निर्माण का इतिहास भी दर्ज होगा, जो भविष्य की योजना बनाने में मदद करेगा।
पुराने वर्जन से मिला सबक
गौरतलब है कि इससे पहले भी लोकपथ ऐप का पहला संस्करण लॉन्च किया गया था, लेकिन तकनीकी खामियों और धीमी गति के कारण वह बहुत अधिक प्रभावी साबित नहीं हो सका था। पुराने अनुभव से सीख लेते हुए, नए वर्जन में सर्वर की क्षमता बढ़ाई गई है और इंटरफेस को सरल किया गया है ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में भी इसे आसानी से इस्तेमाल किया जा सके।
जवाबदेही होगी तय
इस ऐप के माध्यम से अधिकारियों की जवाबदेही भी तय की जाएगी। शिकायत के बाद यदि समय पर सड़क की मरम्मत नहीं होती है, तो सिस्टम में यह पेंडिंग दिखेगा और उच्च अधिकारी इसकी समीक्षा कर सकेंगे। यह पहल प्रशासनिक पारदर्शिता लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।