मध्य प्रदेश में अब पुरानी गाड़ियों यानी सेकंड हैंड वाहनों का व्यापार करने वाले डीलरों के लिए नियम सख्त कर दिए गए हैं। परिवहन विभाग ने स्पष्ट कर दिया है कि राज्य में अब कोई भी व्यक्ति या संस्था बिना वैध लाइसेंस के पुरानी गाड़ियों की खरीद-फरोख्त का काम नहीं कर सकेगी। इस संबंध में विभाग ने सभी क्षेत्रीय परिवहन अधिकारियों (RTO) को निर्देश जारी कर दिए हैं।
परिवहन विभाग के नए आदेश के मुताबिक, सेकंड हैंड वाहनों का कारोबार करने वाले सभी डीलरों को अपना रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होगा। इसके लिए उन्हें एक साल का समय दिया गया है। विभाग ने साफ किया है कि 1 जनवरी 2026 से बिना लाइसेंस या रजिस्ट्रेशन के कारोबार करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई शुरू की जाएगी।
धोखाधड़ी रोकने के लिए उठाया गया कदम
दरअसल, पिछले कुछ समय से पुरानी गाड़ियों के नाम पर धोखाधड़ी के मामले लगातार सामने आ रहे थे। कई बार चोरी की गाड़ियां या फर्जी दस्तावेजों के आधार पर वाहनों को बेचने की शिकायतें मिल रही थीं। इन गड़बड़ियों पर लगाम लगाने के लिए ही सरकार ने डीलरों को रेगुलेट करने का फैसला लिया है। अब हर डीलर का रिकॉर्ड आरटीओ के पास मौजूद रहेगा, जिससे पारदर्शिता बनी रहेगी।
रजिस्ट्रेशन के लिए ये दस्तावेज होंगे जरूरी
लाइसेंस प्राप्त करने के लिए डीलरों को कुछ आवश्यक दस्तावेज जमा करने होंगे। इसमें डीलर का आधार कार्ड, पैन कार्ड, जीएसटी नंबर और गुमास्ता लाइसेंस जैसे दस्तावेज शामिल हैं। इसके अलावा, जिस जगह पर शोरूम या ऑफिस संचालित हो रहा है, उस जमीन के स्वामित्व या किरायेदार होने का प्रमाण भी देना होगा। इन दस्तावेजों की जांच के बाद ही परिवहन विभाग डीलर को अधिकृत लाइसेंस जारी करेगा।
गाड़ियों का पूरा हिसाब रखना होगा
नए नियमों के तहत, डीलरों को अपने पास मौजूद हर गाड़ी का पूरा हिसाब-किताब रखना होगा। उन्हें एक रजिस्टर मेंटेन करना होगा जिसमें बेची गई और खरीदी गई गाड़ियों की पूरी जानकारी दर्ज होगी। आरटीओ अधिकारी कभी भी औचक निरीक्षण कर इस रजिस्टर की जांच कर सकते हैं। यदि रिकॉर्ड में गड़बड़ी पाई जाती है, तो डीलर का लाइसेंस रद्द किया जा सकता है।
ग्राहकों को मिलेगी सुरक्षा
इस नई व्यवस्था से सबसे बड़ा फायदा आम ग्राहकों को होगा। अब वे जब किसी सेकंड हैंड गाड़ी को खरीदने जाएंगे, तो उन्हें यह भरोसा रहेगा कि वे एक अधिकृत डीलर से ही सौदा कर रहे हैं। इससे गाड़ियों के दस्तावेजों में फर्जीवाड़े की आशंका खत्म हो जाएगी। साथ ही, गाड़ी के ट्रांसफर और अन्य कागजी कार्रवाई में भी आसानी होगी क्योंकि डीलर सीधे आरटीओ से जुड़े रहेंगे।
गौरतलब है कि वर्तमान में प्रदेश के कई शहरों, विशेषकर भोपाल और इंदौर में सेकंड हैंड गाड़ियों का बड़ा बाजार है। यहां हजारों की संख्या में असंगठित डीलर काम कर रहे हैं। नए नियम लागू होने से यह पूरा सेक्टर संगठित हो जाएगा और सरकार के राजस्व में भी बढ़ोतरी होने की उम्मीद है।