सोलर पंप योजना में बड़ा बदलाव, 5 हेक्टेयर की भूमि सीमा खत्म, अब मिलेंगे 15 HP के पंप

भोपाल: मध्य प्रदेश में किसानों को जल्द ही एक बड़ी सौगात मिल सकती है। राज्य सरकार ‘मुख्यमंत्री सोलर पंप योजना’ के नियमों में एक अहम बदलाव करने की तैयारी में है। इसके तहत अब 5 हेक्टेयर से अधिक भूमि वाले किसान भी योजना के लिए पात्र होंगे। साथ ही, पंप की क्षमता को भी 10 हॉर्स पावर से बढ़ाकर 15 हॉर्स पावर किया जा रहा है।

नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा विभाग ने इसका प्रस्ताव तैयार कर लिया है, जिसे मंजूरी के लिए अगली कैबिनेट बैठक में रखा जाएगा। इस फैसले से प्रदेश के हजारों बड़े किसानों को फायदा होगा जो अब तक इस योजना के दायरे से बाहर थे।

अब हर किसान को मिलेगा लाभ

योजना के मौजूदा नियमों के अनुसार, केवल 5 हेक्टेयर या उससे कम कृषि भूमि वाले किसान ही सोलर पंप के लिए आवेदन कर सकते थे। इस शर्त के कारण बड़े किसान, जिन्हें सिंचाई के लिए अधिक पानी की जरूरत होती है, योजना का लाभ नहीं उठा पा रहे थे। सरकार अब इस सीमा को पूरी तरह से समाप्त कर रही है, जिससे प्रदेश का हर किसान अपनी जरूरत के अनुसार सोलर पंप लगवा सकेगा।

क्यों पड़ी बदलाव की जरूरत?

बड़े रकबे में खेती करने वाले किसानों, खासकर गन्ना जैसी अधिक पानी की खपत वाली फसलें उगाने वालों के लिए 10 हॉर्स पावर के पंप अपर्याप्त साबित हो रहे थे। उन्हें सिंचाई के लिए महंगे डीजल पंपों पर निर्भर रहना पड़ता था, जिससे न केवल उनकी लागत बढ़ती थी, बल्कि पर्यावरण को भी नुकसान होता था। लंबे समय से किसान संगठन और विशेषज्ञ इस सीमा को बढ़ाने की मांग कर रहे थे ताकि कृषि उत्पादकता बढ़ाई जा सके।

सब्सिडी और लागत का गणित

मुख्यमंत्री सोलर पंप योजना के तहत केंद्र और राज्य सरकार दोनों 30-30 प्रतिशत की सब्सिडी देती हैं। बाकी 40 प्रतिशत राशि का भुगतान किसान को करना होता है।

एक अनुमान के मुताबिक, 15 हॉर्स पावर के सोलर पंप की कुल लागत लगभग 9 लाख रुपये आएगी। इस पर सरकार की 60% सब्सिडी (लगभग 5.40 लाख रुपये) के बाद किसान को अपनी ओर से करीब 3.60 लाख रुपये देने होंगे। यह राशि डीजल पंप के संचालन और रखरखाव पर होने वाले खर्च की तुलना में लंबी अवधि में काफी कम है।

योजना का अब तक का सफर

मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री सोलर पंप योजना साल 2017 में शुरू की गई थी। यह योजना किसानों के बीच काफी लोकप्रिय साबित हुई है और हर साल लगभग 25,000 आवेदन प्राप्त होते हैं। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, अब तक प्रदेश में 30,000 से अधिक सोलर पंप स्थापित किए जा चुके हैं। इन पंपों की स्थापना से सालाना करीब 150 करोड़ रुपये के डीजल की बचत होने का अनुमान है, जिससे प्रदूषण में भी कमी आई है। कैबिनेट की मंजूरी मिलते ही ये नए नियम लागू हो जाएंगे, जिससे राज्य में कृषि को और बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।