मध्य प्रदेश में 15 जनवरी तक कड़ाके की ठंड, 40 जिलों में घना कोहरा और शीतलहर का अलर्ट

मध्य प्रदेश में मौसम का मिजाज एक बार फिर बदल गया है। उत्तर भारत से आ रही सर्द हवाओं ने पूरे प्रदेश को अपनी चपेट में ले लिया है। मौसम विभाग के अनुसार, अगले कुछ दिनों तक राहत मिलने की कोई उम्मीद नहीं है। विशेष रूप से 15 जनवरी तक प्रदेश के अधिकांश हिस्सों में कड़ाके की ठंड पड़ने की संभावना जताई गई है।

मौसम विज्ञानियों का कहना है कि एक पश्चिमी विक्षोभ (Western Disturbance) के गुजरने के बाद हवाओं का रुख बदला है। अब सीधी उत्तरी हवाएं प्रदेश में प्रवेश कर रही हैं, जिससे रात के तापमान में भारी गिरावट दर्ज की जा रही है। राजधानी भोपाल, इंदौर, ग्वालियर और जबलपुर समेत कई प्रमुख शहरों में न्यूनतम तापमान सामान्य से नीचे चला गया है।

40 जिलों में कोहरे और शीतलहर का अलर्ट

मौसम विभाग ने प्रदेश के करीब 40 जिलों के लिए यलो और ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। चंबल संभाग के जिलों, ग्वालियर, दतिया, शिवपुरी और गुना में घने से अति घना कोहरा छाए रहने की आशंका है। विजिबिलिटी कम होने के कारण यातायात भी प्रभावित हो सकता है। इसके अलावा, रीवा, सागर और शहडोल संभाग में शीतलहर (Cold Wave) चलने की चेतावनी दी गई है।

तापमान में गिरावट का दौर जारी

बीते 24 घंटों में प्रदेश के कई इलाकों में न्यूनतम तापमान 5 से 7 डिग्री सेल्सियस के बीच रिकॉर्ड किया गया। पचमढ़ी और नौगांव जैसे स्थानों पर पारा जमाव बिंदु के करीब पहुंच रहा है। मौसम विशेषज्ञों के मुताबिक, दिन में धूप निकलने के बावजूद ठंडी हवाओं के कारण गलन महसूस होगी। रात के समय तापमान में और अधिक गिरावट आने की संभावना है।

किसानों और आम जनता को सलाह

बढ़ती ठंड को देखते हुए मौसम विभाग ने आम लोगों और किसानों के लिए एडवाइजरी जारी की है। बच्चों और बुजुर्गों को सुबह और शाम के समय ठंड से बचने की सलाह दी गई है। वहीं, किसानों को पाले (Frost) से फसलों को बचाने के लिए सिंचाई करने और धुआं करने जैसे उपाय अपनाने को कहा गया है। वाहन चालकों को कोहरे के दौरान धीमी गति से गाड़ी चलाने और फॉग लाइट का उपयोग करने की हिदायत दी गई है।

आगामी दिनों में मकर संक्रांति तक ठंड का यह दौर जारी रहने का अनुमान है। 15 जनवरी के बाद हवाओं का रुख बदलने पर ही तापमान में थोड़ी बढ़ोतरी की उम्मीद की जा सकती है। फिलहाल, पूरा प्रदेश शीतलहर की चपेट में है और लोगों को अलाव का सहारा लेना पड़ रहा है।