Madrassa में 9,417 हिंदू बच्चों को दी जा रही इस्लामिक शिक्षा

स्वतंत्र समय, भोपाल

मप्र में स्कूल शिक्षा विभाग की लापरवाही के चलते 9 हजार 417 बच्चे मदरसों ( Madrassa ) में इस्लामिक शिक्षा की पढ़ाई कर रहे हैं। इन मदरसों में शिक्षा का अधिकार (आरटीई) नियम लागू नहीं है। प्रदेश में संचालित अधिकांश मदरसे अवैध और बिना रजिस्ट्रेशन के संचालित हैं। मंडीदीप स्थित एलएम बैकरी में 36 बच्चे पारले जी के बिस्कुट बनाते हुए पकड़े गए हैं। इनमें 25 नाबालिग बच्चियां है, जो छिंदवाड़ा और झारखंड के आदिवासी क्षेत्रों से आती हैं। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने ये आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा-राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत दिव्यांग बच्चों को लाभ मिलना चाहिए, लेकिन मप्र में अभी भी 3 लाख 89 हजार दिव्यांग बच्चों को दिव्यांग प्रमाण पत्र तक नहीं दिए गए हैं।

गलत तरीके से संचालित हो रहे Madrassa

कानूनगो ने कहा-मप्र में मदरसों ( Madrassa  ) का संचालन अवैध रूप से किया जा रहा है। वक्फ बोर्ड में 4 ही मदरसे पंजीकृत है, जबकि 18 वर्ष तक की आयु के बच्चों का किशोर न्याधिकरण में पंजीयन होना चाहिए। उधर, एसटी-एससी हॉस्टल खाली होने के बावजूद इसकी जानकारी जनजातीय कार्य विभाग द्वारा महिला एवं बाल विकास को नहीं दी जाती है, जबकि हॉस्टल में लड़कियां भी रहकर पढ़ाई करती है, लेकिन हॉस्टल खाली पड़े हैं और बच्चे इनमें रहते नहीं हैं। जो मदरसे अवैध रूप से संचालित हो रहे है, उनमें शिक्षा अधिकार कानून (आरटीई)का लाभ बच्चों को नहीं मिल रहा है। 1555 मदरसों में पढ़ाने वाले टीचर तो बीएड-डीएड तक नहीं पढ़े हैं और न इनमें सेफ्टी, सुरक्षा के इंतजाम है, बल्कि मानकों के अनुरूप भी नहीं है, फिर शिक्षा विभाग इन्हें अनुदान बांट रहा है। जिन मदरसों में 9,417 हिंदू बच्चों को पढ़ाया जा रहा है, उसकी सहमति पालकों से भी नहीं ली गई है। उधर, स्कूल शिक्षा विभाग का तर्क है कि मदरसों में एनसीआरटी की किताबे बांटी जाती है, जबकि उसका ये तर्क पूरी तरह झूठा है।

92 हजार बच्चों का रिकार्ड ही नहीं

स्कूल शिक्षा विभाग ने स्कूलों में एक लाख 30 हजार बच्चों की पढ़ाई का आंकड़ा उपलब्ध कराया है, जबकि उसके पास 92 हजार बच्चों का रिकार्ड ही नहीं है। वैसे 6 से 18 साल तक के दिव्यांग बच्चों को पेंशन दिए जाने का प्रावधान है। ऐसे 88 हजार बच्चे पेंशन पाने से वंचित हैं। इन दिव्यांग बच्चों को आंगनबाड़ी, स्कूल और मेडिकल बोर्ड के जरिए दिव्यांगकता प्रमाण पत्र सरकार को तत्काल उपलब्ध कराना चाहिए। स्कूलों में हिंदू ही नहीं, बल्कि मुस्लिम बच्चों को भी शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार है।

शाला त्यागी बच्चों का रिकार्ड तक नहीं

स्कूल शिक्षा विभाग के पास वर्ष 2019 से 11 लाख 14 हजार शाला त्यागी बच्चों का रिकार्ड तक नहीं है और जो रिकार्ड शिक्षा विभाग के पास उपलब्ध है, उसका डेटा गड़बड़ पाया गया है। डिंडौरी जिले में तो एनजीओ के माध्यम से बच्चों का धर्मांतरण कराया जा रहा है और ऐसे एनजीओ को सरकार फंड मुहैया करा रही है। डिंडौरी ही नहीं, बल्कि रायसेन, दमोह आदि जिलों में भी अनाथ बच्चों का धर्मांतरण कराने की शिकायतें मिली हैं। प्रदेश में जनजाति विभाग द्वारा 56 आश्रम, 53 स्कूल और 30 छात्रावासों का संचालन एनजीओ के माध्यम से कराया जा रहा है। जब इसका रिकार्ड मांगा गया तो विभाग रिकार्ड उपलब्ध कराने में नाकामयाब रहा। यहां तक कि वह सूची तक उपलब्ध नहीं करा सका।