महाकुंभ धर्म – कर्म – मर्म की त्रिवेणी का संगम है, गंगा – जमुना – सरस्वती में अमृत प्राप्ति का समागम है

प्रखर – वाणी

प्रयागराज में महाकुंभ हमारे धर्म – कर्म – मर्म की त्रिवेणी का संगम है…गंगा – जमुना – सरस्वती में पापों के प्रक्षालन व अमृत प्राप्ति हेतु समागम है…साढ़े तीन करोड़ से भी अधिक लोगों का एकत्रीकरण हमारे अध्यात्म और भक्ति का संदेश है…मकर संक्रांति पर जनता जनार्दन संग संतों की पेशवाई में वंदन अभिनन्दन का भाव पेश है…हम भारतवासियों को अपनी संस्कृति और धार्मिकता पर गर्व है…

हमारी ताकत और नागरिकों की ऊर्जा का आधार हमारे अनेक पर्व हैं…एक सौ चवालीस वर्षों बाद महाकुंभ का अद्भुत संयोग वर्तमान पीढ़ी का जीवन में एक ही अवसर है…इसीलिए तो दुनिया भर से आगंतुकों का उत्साह और अपार भीड़ का दिखता असर है…अनेक अखाड़ों के संत समाज को दिशा देकर अमृत लाभ हेतु प्रेरित कर जोड़ रहे हैं…प्रवचनों की विचारशीलता से प्रभावित अनेक लोग अपनी बुराइयां छोड़ रहे हैं…प्रयाग के चप्पे चप्पे पर जन जन का मन समर्पित है…

जीवन में हुई गलतियों और पापों का प्रायश्चित त्रिवेणी को अर्पित है…इस महाकुंभ में लगभग पैंतालीस करोड़ लोगों के आगमन का अनुमान है…हिन्दू धर्म के ये प्रकल्प और हमारी आध्यात्मिक शक्तियां ही भारत की पहचान है…सनातन को सभ्यता मानकर अमृत स्नान करने वाले नागा साधु आकर्षक शस्त्र प्रदर्शन कर रहे हैं…

भारत में प्रसिद्ध साधु विचार और संस्कार शास्त्र व शस्त्रकला से जुड़े हैं इसका साक्षात दर्शन है…वहां आहट है विदेशियों और धर्मप्रेमियों के सरपट कदम ताल की…सदी की बेहतरीन शुरुआत कर रहे जनवरी 2025 के भाग्यशाली साल की…आइये हम सब भी मिलकर हिन्दू धर्म महाकुंभ की त्रिवेणी में सनातनी विचारों की डुबकी लगाएं…अपने गौरवशाली अतीत की वैभवशाली परम्पराओं को हृदयतल की गहराइयों से निभाएं..