Maha Shivratri 2025: अगर करना है सभी रोग और दोष दूर तो इस नियम से रखें महाशिवरात्रि का पावन व्रत

Maha Shivratri 2025: महाशिवरात्रि का पर्व इसलिए भी बहुत ज्यादा शुभ माना जाता है, क्योंकि यह दिन शिव और पार्वती के पावन मिलन का प्रतीक है। वैसे तो शिवरात्रि हर माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है, लेकिन फाल्गुन माह की चतुर्दशी को मनाई जाने वाली शिवरात्रि का विशेष महत्व है। इसी कारण से इसे महाशिवरात्रि के नाम से भी जाना जाता है। पंचांग के अनुसार, इस साल की महाशिवरात्रि बहुत ही दुर्लभ मानी जा रही है, क्योंकि यह विशेष संयोग और शुभ योगों के साथ आ रही है, जिससे इसका आध्यात्मिक और ज्योतिषीय महत्व और भी बढ़ जाता है। ऐसे में अगर आप इस दिन व्रत का पालन कर रहे हैं, तो आइए इसका सही नियम (Maha Shivratri 2025 Vrat Niyam) जानते हैं, जो इस प्रकार है।

ऐसा कहा जाता है कि त्रयोदशी से ही महाशिवरात्रि का व्रत शुरू हो जाता है, और इस दिन से लोग सात्विक भोजन करना प्रारंभ कर देते हैं। कुछ श्रद्धालु त्रयोदशी से ही उपवास रखते हैं, जबकि कुछ चतुर्दशी के दिन स्नान करके व्रत का संकल्प लेते हैं। व्रती भगवान शिव को भांग, धतूरा, गन्ना, बेर और चंदन अर्पित करते हैं, जबकि विवाहित महिलाएं माता पार्वती को सुहाग की निशानी—चूड़ियां, बिंदी और सिन्दूर—चढ़ाकर आशीर्वाद मांगती हैं।

इस दिन उपवास रखने वाले श्रद्धालु केवल फलाहार करते हैं और नमक से परहेज करते हैं, हालांकि जो लोग पूर्ण उपवास में असमर्थ होते हैं, वे सेंधा नमक का सेवन कर सकते हैं। व्रत के दौरान संयम और सात्विकता का विशेष ध्यान रखना चाहिए। किसी की निंदा करने से बचें, बड़ों का अपमान न करें और तामसिक चीजों का त्याग करें। ब्रह्मचर्य का पालन करें और रात्रि जागरण कर शिव आराधना में लीन रहें, जिससे व्रत का पूर्ण फल प्राप्त हो सके।

हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को हर साल महाशिवरात्रि मनाई जाती है। इस साल चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 26 फरवरी को सुबह 11 बजकर 08 मिनट पर होगी और इसका समापन 27 फरवरी को सुबह 08 बजकर 54 मिनट पर होगा। पंचांग के अनुसार, महाशिवरात्रि 26 फरवरी को मनाई जाएगी। इस दिन भक्त भगवान शिव की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं और रात्रि जागरण कर शिव मंत्रों का जाप करते हैं।

शिव नमस्कार मंत्र

॥ शम्भवाय च मयोभवाय च नमः शंकराय च मयस्कराय च नमः शिवाय च शिवतराय च ॥

ईशानः सर्वविध्यानामीश्वरः सर्वभूतानां ब्रह्माधिपतिर् महिब्रह्मणोऽधिपतिर्ब्रह्मा शिवो मे अस्तु सदाशिवोम्॥

शिव गायत्री मंत्र

॥ ओम् तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात् ॥

महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव की पूजा में जल, दूध, बेलपत्र, धतूरा, भस्म और फल चढ़ाने का विशेष महत्व होता है। इस दिन उपवास रखकर शिव चालीसा, रुद्राष्टक और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करना शुभ माना जाता है।