महाकाल भस्म आरती: ऑनलाइन बुकिंग फुल होने पर भी ऐसे कर सकते हैं दर्शन, जानिए ऑफलाइन प्रक्रिया

उज्जैन स्थित ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर मंदिर में प्रतिदिन होने वाली भस्म आरती का विशेष महत्व है। देश-विदेश से श्रद्धालु केवल इस आरती के दर्शन के लिए उज्जैन पहुंचते हैं। अक्सर देखा जाता है कि ऑनलाइन बुकिंग स्लॉट बहुत जल्दी भर जाते हैं, जिससे कई भक्त निराश हो जाते हैं। यदि आपको ऑनलाइन बुकिंग नहीं मिल पाई है, तो भी निराश होने की आवश्यकता नहीं है। मंदिर प्रशासन ने ऑफलाइन बुकिंग की भी व्यवस्था की हुई है।

महाकाल मंदिर प्रबंध समिति के अनुसार, भस्म आरती में शामिल होने के लिए ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह की सुविधाएं उपलब्ध हैं। ऑनलाइन बुकिंग फुल होने की स्थिति में श्रद्धालु मंदिर परिसर में स्थित काउंटर से ऑफलाइन अनुमति प्राप्त कर सकते हैं। यह व्यवस्था उन भक्तों के लिए राहत की खबर है जो पहले से योजना नहीं बना पाते या जिन्हें तकनीकी जानकारी कम है।

ऑफलाइन बुकिंग की प्रक्रिया

ऑफलाइन अनुमति प्राप्त करने के लिए श्रद्धालुओं को मंदिर परिसर में बने विशेष काउंटरों पर जाना होता है। यहाँ एक फॉर्म भरना अनिवार्य है। इस फॉर्म के साथ आवेदक को अपनी आईडी प्रूफ (जैसे आधार कार्ड, वोटर आईडी या ड्राइविंग लाइसेंस) की फोटोकॉपी जमा करनी होती है। इसके अलावा, ओरिजिनल आईडी प्रूफ भी साथ रखना आवश्यक है, क्योंकि वेरिफिकेशन के समय इसकी मांग की जा सकती है।

सीमित होती है ऑफलाइन क्षमता

भक्तों को यह ध्यान रखना चाहिए कि ऑफलाइन कोटे के तहत सीटों की संख्या सीमित होती है। यह प्रक्रिया ‘पहले आओ, पहले पाओ’ के आधार पर काम करती है। इसलिए, यदि आप ऑफलाइन माध्यम से भस्म आरती की अनुमति चाहते हैं, तो काउंटर खुलने के समय से काफी पहले कतार में लगना बेहतर होता है। विशेष पर्वों और त्योहारों के दौरान भीड़ अधिक होने के कारण यह प्रक्रिया थोड़ी चुनौतीपूर्ण हो सकती है।

बायोमेट्रिक रजिस्ट्रेशन और प्रवेश

बुकिंग कन्फर्म होने के बाद श्रद्धालुओं का बायोमेट्रिक रजिस्ट्रेशन किया जाता है। आरती के समय प्रवेश द्वार पर इसी बायोमेट्रिक डेटा के जरिए एंट्री दी जाती है। यह सुरक्षा और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए किया गया है। मंदिर प्रशासन का प्रयास रहता है कि अधिक से अधिक श्रद्धालुओं को बाबा महाकाल की इस दिव्य आरती का लाभ मिल सके।

उल्लेखनीय है कि कोरोना काल के दौरान और उसके बाद भी कई बार नियमों में बदलाव किए गए थे। पुराने संदर्भों को देखें तो साल 2020 में भी ऑनलाइन बुकिंग फुल होने की खबरें चर्चा में रही थीं, जिसके बाद ऑफलाइन प्रक्रिया को लेकर श्रद्धालुओं में जागरूकता बढ़ाई गई थी। वर्तमान में भी मंदिर समिति समय-समय पर भीड़ प्रबंधन के लिए नियमों की समीक्षा करती रहती है।