उज्जैन: नए साल और क्रिसमस की छुट्टियों के दौरान श्री महाकालेश्वर मंदिर में दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं की भारी भीड़ की आशंका को देखते हुए मंदिर प्रबंधन समिति ने एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। समिति ने 24 दिसंबर 2023 से 5 जनवरी 2024 तक भस्म आरती के लिए ऑफलाइन बुकिंग काउंटर को पूरी तरह से बंद रखने का फैसला किया है। इस अवधि में, भस्म आरती में शामिल होने की अनुमति केवल ऑनलाइन बुकिंग के माध्यम से ही प्राप्त की जा सकेगी।
यह कदम श्रद्धालुओं की सुविधा और मंदिर परिसर में व्यवस्था को सुचारू बनाए रखने के लिए उठाया गया है। हर साल दिसंबर के आखिरी सप्ताह और जनवरी की शुरुआत में लाखों की संख्या में भक्त बाबा महाकाल के दर्शन और भस्म आरती में शामिल होने के लिए उज्जैन पहुंचते हैं, जिससे मंदिर में भारी भीड़ हो जाती है।
भीड़ प्रबंधन और श्रद्धालुओं की सुविधा प्राथमिकता
श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के प्रशासक संदीप सोनी के अनुसार, छुट्टियों के दौरान देश-विदेश से बड़ी संख्या में श्रद्धालु उज्जैन आते हैं। ऐसे में ऑफलाइन अनुमति के लिए काउंटर पर रात से ही लंबी कतारें लग जाती हैं। सीमित क्षमता के कारण कई घंटों तक लाइन में लगने के बाद भी बहुत से भक्तों को अनुमति नहीं मिल पाती, जिससे उन्हें निराशा होती है और अव्यवस्था की स्थिति बनती है।
इसी समस्या को दूर करने और व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए यह तय किया गया है कि 13 दिनों की इस अवधि में भस्म आरती की बुकिंग पूरी तरह से ऑनलाइन ही रखी जाए। इससे श्रद्धालु घर बैठे ही अपनी बुकिंग करा सकेंगे और उन्हें लंबी कतारों में लगने की परेशानी से मुक्ति मिलेगी।
ऑनलाइन बुकिंग की प्रक्रिया
जो श्रद्धालु 24 दिसंबर से 5 जनवरी के बीच भस्म आरती में शामिल होना चाहते हैं, उन्हें श्री महाकालेश्वर मंदिर की आधिकारिक वेबसाइट (mahakaleshwar.nic.in) पर जाकर अग्रिम बुकिंग करनी होगी। भस्म आरती हॉल की क्षमता लगभग 1800 श्रद्धालुओं की है और बुकिंग ‘पहले आओ, पहले पाओ’ के आधार पर होती है।
मंदिर समिति ने श्रद्धालुओं से अपील की है कि वे अपनी यात्रा की योजना बनाने से पहले ऑनलाइन बुकिंग की उपलब्धता जांच लें और समय पर अपनी अनुमति बुक करा लें ताकि किसी भी तरह की असुविधा से बचा जा सके। 5 जनवरी के बाद भस्म आरती के लिए ऑफलाइन बुकिंग की व्यवस्था फिर से पहले की तरह शुरू कर दी जाएगी। इस निर्णय का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि सभी भक्तों को सुगमता से दर्शन हो सकें और मंदिर परिसर में भीड़ का प्रबंधन प्रभावी ढंग से किया जा सके।