दान और अन्य शुल्क से हर वर्ष 100 करोड़ से ज्यादा की इनकम होने के बाद भी उज्जैन की महाकाल मंदिर प्रबंध समिति नगर निगम का टैक्स चुका नहीं रही है। 27 साल से टैक्स जमा नहीं करने की वजह से बची हुई राशि एक करोड़ रुपए हो गई है। नगर निगम ने टैक्स वसूली के लिए अब पहली बार गंभीर प्रयास शुरू किया है। हाल ही में निगम की एक टीम ने बचा हुआ टैक्स का पूरा हिसाब-किताब करके मंदिर समिति पहुंची है।
उज्जैन नगर निगम के एक अधिकारी के अनुसार मंदिर समिति हर महीने 78 हजार 315 रुपए का पानी लेती है। यह पानी मंदिर में श्रद्धालुओं के पिने से लेकर सफाई व्यवस्था सहित अन्य कामों में उपयोग किया जाता है। मंदिर समिति ने अक्टूबर 2020 से जनवरी 2024 तक का पानी का बिल नहीं भरा है। अब राशि बढ़कर 32 लाख 43 हजार रुपए गई है।
27 साल से मंदिर समिति ने सेस जमा नहीं किया
मंदिर समिति ने 1997 से मार्च 2024 तक नगर निगम को सेस भी नहीं जमा किया है। यह राशि अब 80 लाख रुपए हो गई है। निगम के अधिकारी के अनुसार राशि कम और ज़्यादा भी हो सकती है क्योंकि मंदिर समिति ने अभी प्रॉपर्टी का निर्धारण नहीं किया है। इस मामले में समिति दस्तावेज तैयार कर रही है। सेस का निर्धारण प्रॉपर्टी की वैल्यू के आधार पर होगा। इसमें प्रकाश, शिक्षा उपकर, समेकित दर, नगरीय विकास उपकर शामिल है।