Mahakal Temple Ujjain: उज्जैन के ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में रविवार को छत्तीसगढ़ के एक भक्त ने भगवान महाकाल के लिए 24 लाख रुपये मूल्य की चांदी की पालकी भेंट की। दानदाता ने अपनी पहचान गुप्त रखते हुए यह पालकी मंदिर प्रशासन को सौंपी है। यह भेंट भगवान महाकाल की शाही सवारी और अन्य विशेष अवसरों के दौरान उपयोग की जाएगी। मंदिर प्रशासन के अनुसार, भक्त का यह दान श्रद्धा और आस्था का प्रतीक है, और इसे महाकालेश्वर की सेवा में लगाया जाएगा। चांदी की पालकी की भव्यता और शिल्पकला इसे विशेष बनाती है।
महाकाल मंदिर के प्रशासक गणेश कुमार धाकड़ ने जानकारी दी कि छत्तीसगढ़ के दानदाता ने मंदिर के पुजारी और पुरोहितों के सहयोग से भगवान महाकाल के नगर भ्रमण के लिए चांदी की नई पालकी भेंट की है। यह पालकी भगवान महाकाल की शाही सवारी और अन्य धार्मिक आयोजनों के दौरान उपयोग की जाएगी।
पालकी को 24 लाख रुपये की लागत से तैयार किया गया है और इसे भेंट करते समय दानदाता ने अपनी पहचान गुप्त रखी। यह भव्य पालकी न केवल धार्मिक महत्व रखती है, बल्कि इसमें उत्कृष्ट शिल्पकला का भी प्रदर्शन किया गया है, जो महाकाल भक्तों की अटूट श्रद्धा और समर्पण का प्रतीक है। भगवान महाकाल की नई पालकी 21 किलो चांदी से निर्मित है। इसका स्ट्रक्चर सागौन की लकड़ी और स्टील के पाइप से बनाया गया है, जिस पर चांदी का आवरण चढ़ाकर इसे भव्य रूप दिया गया है।
पालकी का आकार लगभग तीन फीट चौड़ा और पांच फीट लंबा है। इसे इस तरह से डिजाइन किया गया है कि भगवान महाकाल की शाही सवारी के दौरान इसे आसानी से उपयोग किया जा सके। सागौन की लकड़ी और स्टील की मजबूती पालकी को टिकाऊ बनाती है, जबकि चांदी का आवरण इसे दिव्य और आकर्षक रूप प्रदान करता है।
यह पालकी भगवान महाकाल की नगर भ्रमण और विशेष आयोजनों के लिए उपयोग की जाएगी, जिससे श्रद्धालुओं को एक अनोखा आध्यात्मिक अनुभव मिलेगा। भगवान महाकाल की नई चांदी की पालकी की कुल लंबाई 17 फीट है और इसका कुल वजन करीब सवा दो क्विंटल है। इसे खासतौर पर आकर्षक और भव्य बनाने के लिए पालकी उठाने वाले हत्थे पर सिंह के मुख की आकृति उकेरी गई है, जो शक्ति और दिव्यता का प्रतीक है।
मंदिर समिति के अनुसार, भगवान महाकाल, जिन्हें अवंतिकानाथ के नाम से भी जाना जाता है, इस नई पालकी में कब नगर भ्रमण करेंगे, इसका निर्णय समिति बाद में लेगी। यह पालकी भगवान महाकाल की शाही सवारी और अन्य धार्मिक आयोजनों के दौरान उपयोग की जाएगी, और इसे देखकर श्रद्धालु दिव्यता का अनुभव करेंगे।
ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर से सोमवार को कार्तिक-अगहन मास की राजसी सवारी निकाली जाएगी। इस अवसर पर अवंतिकानाथ पहली बार नई चांदी की पालकी में सवार होकर नगर भ्रमण करेंगे। सवारी के दौरान भगवान महाकाल का भव्य स्वागत किया जाएगा। सवारी मंदिर से निकलकर शिप्रा तट पहुंचेगी, जहां विशेष पूजन और अभिषेक किया जाएगा। इसके बाद सवारी छोटा तेलीवाड़ा, कंठाल, और सतीगेट के रास्ते से होते हुए वापस महाकाल मंदिर पहुंचेगी। राजसी सवारी में बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल होंगे और भगवान महाकाल की दिव्यता का अनुभव करेंगे। मंदिर प्रशासन ने इस आयोजन के लिए विशेष व्यवस्था की है, ताकि श्रद्धालु सवारी का आनंद ले सकें।