उज्जैन स्थित विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर में दर्शन व्यवस्था को लेकर बड़े बदलाव की तैयारी की जा रही है। मंदिर प्रशासन का लक्ष्य है कि साल 2026 की शुरुआत तक श्रद्धालुओं को एक नई और सुगम दर्शन प्रणाली का अनुभव मिले। इसके तहत मंदिर परिसर और आसपास के क्षेत्रों में व्यापक स्तर पर दिशा-सूचक (साइन बोर्ड) और डिजिटल स्क्रीन लगाए जाएंगे।
मंदिर में प्रतिदिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु बाबा महाकाल के दर्शन के लिए पहुंचते हैं। अक्सर देखा गया है कि बाहर से आने वाले भक्तों को प्रवेश द्वार, जूता स्टैंड, और कतारों की सही जानकारी नहीं मिल पाती। इस कारण उन्हें अनावश्यक भटकना पड़ता है। इसी समस्या को दूर करने के लिए प्रशासन ने एक विस्तृत कार्ययोजना तैयार की है।
100 से ज्यादा स्थानों पर लगेंगे नए बोर्ड
मंदिर समिति की योजना के अनुसार, मंदिर परिसर के भीतर और बाहर लगभग 100 से अधिक स्थानों पर नए साइन बोर्ड लगाए जाएंगे। ये बोर्ड केवल हिंदी ही नहीं, बल्कि अंग्रेजी और अन्य भाषाओं में भी हो सकते हैं ताकि दक्षिण भारत और विदेशों से आने वाले भक्तों को भी आसानी हो। इनमें प्रवेश मार्ग, निकास मार्ग, लड्डू प्रसादी काउंटर, और जूता स्टैंड की स्पष्ट जानकारी होगी।
भीड़ प्रबंधन के लिए एलईडी स्क्रीन का उपयोग
साइन बोर्ड के अलावा, मंदिर प्रशासन भीड़ प्रबंधन (Crowd Management) को बेहतर बनाने के लिए डिजिटल तकनीक का सहारा लेगा। प्रमुख स्थानों पर बड़ी एलईडी स्क्रीन लगाई जाएंगी। इन स्क्रीन्स पर लाइव अपडेट्स, कतार की स्थिति और दर्शन में लगने वाले संभावित समय की जानकारी प्रदर्शित की जाएगी। इससे श्रद्धालु अपनी बारी का अनुमान लगा सकेंगे और अनावश्यक धक्का-मुक्की से बचा जा सकेगा।
महाकाल लोक से ही मिलेगी जानकारी
महाकाल लोक के निर्माण के बाद से श्रद्धालुओं की संख्या में भारी इजाफा हुआ है। नई व्यवस्था के तहत, महाकाल लोक में प्रवेश करते ही भक्तों को यह पता चल जाएगा कि उन्हें किस गेट से मंदिर में प्रवेश करना है। पार्किंग स्थलों पर भी विशेष सूचक लगाए जाएंगे ताकि वाहन खड़ा करने के बाद भक्तों को मुख्य द्वार तक पहुँचने में कोई परेशानी न हो।
प्रशासन का उद्देश्य: सुगम और सुरक्षित दर्शन
मंदिर प्रशासन का मुख्य उद्देश्य श्रद्धालुओं को ‘सुगम दर्शन’ उपलब्ध कराना है। त्योहारों और विशेष पर्वों पर भीड़ का दबाव बहुत अधिक होता है, जिससे कई बार अव्यवस्था की स्थिति बन जाती है। नई व्यवस्था लागू होने से न केवल श्रद्धालुओं का समय बचेगा, बल्कि सुरक्षा व्यवस्था को बनाए रखने में भी मदद मिलेगी। उम्मीद की जा रही है कि ये सभी बदलाव 2026 तक पूरी तरह धरातल पर उतर आएंगे।