Mahakal Shahi Sawari 2025: इस बार 14 जुलाई को निकलेगी महाकाल की पहली सवारी, जानें कब-कब होंगे बाबा के दर्शन और किस मार्ग से गुजरेगी ये भव्य यात्रा!

Mahakal Shahi Sawari 2025:  मध्य प्रदेश की धार्मिक नगरी उज्जैन सावन के पावन महीने में एक बार फिर भक्तिमय रंग में रंगने वाली है। यहां भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक महाकालेश्वर मंदिर में सावन के प्रत्येक सोमवार को भव्य शाही सवारी निकाली जाती है। हर साल की तरह इस बार भी भगवान महाकाल की शाही सवारी लाखों श्रद्धालुओं को अपनी ओर आकर्षित करेगी। श्रद्धालुओं का उत्साह चरम पर रहता है क्योंकि यह सवारी आध्यात्मिक ऊर्जा और आस्था से सराबोर होती है।

कब-कब निकलेगी महाकाल की सवारी?

हिंदू पंचांग के अनुसार, इस वर्ष सावन मास की शुरुआत जुलाई में हो रही है और महाकाल की पहली सवारी 14 जुलाई 2025 को निकाली जाएगी। इसके बाद हर सोमवार को एक-एक सवारी निकाली जाएगी। आखिरी यानी छठी शाही सवारी 18 अगस्त 2025 को होगी, जो विशेष रूप से भव्य और भावपूर्ण होती है। ये सभी सवारियां उज्जैन के प्रमुख मार्गों से गुजरेंगी, जहां हजारों की संख्या में भक्त झूमते, गाते और हर हर महादेव का जयकारा लगाते नजर आएंगे।

कैसा होता है शाही सवारी का मार्ग?

महाकाल की सवारी की शुरुआत महाकालेश्वर मंदिर से होती है, जहां भगवान को पारंपरिक गार्ड ऑफ ऑनर दिया जाता है। इसके बाद सवारी महाकाल चौराहा, गुदरी चौराहा, बक्शी बाजार, कहारवाड़ी होते हुए रामघाट पहुंचती है। रामघाट पर भगवान महाकाल को शिप्रा नदी के पवित्र जल से स्नान कराया जाता है और विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। फिर सवारी रामानुजकोट, मोढ़ की धर्मशाला, कार्तिक चौक होते हुए मंदिर में लौटती है। इस यात्रा को देखने के लिए देशभर से श्रद्धालु उज्जैन पहुंचते हैं।

सावन सोमवार और महाकाल दर्शन का महत्व

उज्जैन, जिसे प्राचीन काल में अवंतिका कहा जाता था, सावन के सोमवार को शिवभक्तों के लिए बेहद विशेष माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन महाकाल की झलक पाने और शाही सवारी में शामिल होने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है। सवारी के दौरान भगवान शिव के विभिन्न रूपों के दर्शन होते हैं, जो भक्तों के लिए आध्यात्मिक और भावनात्मक अनुभव होता है। सावन में महाकाल की सवारी देखना केवल परंपरा नहीं, बल्कि आस्था और भक्ति का एक जीवंत उत्सव है।