Mahakumbh : महाकुंभ में तीन अमृत स्नान के बाद महाशिवरात्रि पर अमृत स्नान जैसा महासंयोग बन रहा है। 26 फरवरी को ग्रहों की युतियां त्रिवेणी के तट पर स्नान करने वालों के लिए बेहद खास होंगी। त्रिग्रही के साथ ही बुधादित्य योग और चंद्रमा के नक्षत्र श्रवण का भी संगम होगा। चंद्रमा के नक्षत्र श्रवण में 31 सालों बाद बुधादित्य और त्रिग्रही योग में महाशिवरात्रि मनाई जाएगी, जहां श्रद्धालु त्रिवेणी के तट पर पवित्र स्नान कर पुण्य अर्जित करेंगे।
महाकुंभ में तीन अमृत स्नान के बाद महाशिवरात्रि पर भी अमृत स्नान जैसा महासंयोग बन रहा है। 26 फरवरी को ग्रहों की विशेष युतियां त्रिवेणी के तट पर स्नान करने वालों के लिए अत्यंत शुभ होंगी। इस दिन त्रिग्रही योग के साथ बुधादित्य योग और चंद्रमा के नक्षत्र श्रवण का दुर्लभ संगम होगा। 31 वर्षों के बाद चंद्रमा के श्रवण नक्षत्र में बुधादित्य और त्रिग्रही योग के संयोग में महाशिवरात्रि मनाई जाएगी, जिससे इस दिन त्रिवेणी में स्नान का विशेष महत्व होगा।
26 फरवरी को महाशिवरात्रि पर अमृत स्नान का महायोग बन रहा है। इस दिन सूर्य, बुध और शनि तीनों शनि की राशि कुंभ में स्थित होकर त्रिग्रही योग का निर्माण कर रहे हैं, जो स्नान और पूजा-पाठ के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है। इसके साथ ही, चंद्रमा के नक्षत्र श्रवण में 31 वर्षों के बाद बुधादित्य और त्रिग्रही योग का दुर्लभ संयोग बन रहा है। इन विशेष ग्रह युतियों के कारण महाशिवरात्रि का पर्व कई गुना अधिक फलदायी होगा, जिससे श्रद्धालुओं को विशेष आध्यात्मिक लाभ मिलेगा।
महाशिवरात्रि 2025: ग्रह योग और राशियों पर प्रभाव
26 फरवरी को महाशिवरात्रि पर ग्रहों की विशेष स्थिति अद्भुत संयोग बना रही है। इस दिन—
• सूर्य, बुध और शनि कुंभ राशि में होंगे।
• चंद्रमा मकर राशि में रहेगा।
• शुक्र और राहु मीन राशि में स्थित होंगे।
• मंगल मिथुन राशि में रहेगा।
• बृहस्पति वृषभ राशि में विराजमान होगा।
खास ज्योतिषीय संयोग:
• कुंभ राशि में तीन ग्रहों की युति (सूर्य, बुध, शनि) महाशिवरात्रि को खास बना रही है।
• इस बार महाशिवरात्रि श्रवण नक्षत्र, परिघ योग और शुभ शिव योग में आएगी।
• छत्र एवं श्रीवत्स योग के कारण यह पर्व अधिक मंगलकारी रहेगा।
• सात वर्षों बाद बुधवार के दिन महाशिवरात्रि का योग बन रहा है, जो विशेष फलदायी माना जाता है।
राशियों पर प्रभाव:
• मेष राशि वालों को मेहनत का पूरा फल मिलेगा।
• मिथुन और सिंह राशि के जातकों के लिए तरक्की के नए अवसर बनेंगे।
• अन्य राशियों पर भी इस महासंयोग का सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।
महाशिवरात्रि का यह शुभ संयोग आध्यात्मिक रूप से अत्यंत फलदायी माना जा रहा है।
महाशिवरात्रि 2025: चतुर्दशी तिथि और पूजा का विशेष महत्व
चतुर्दशी तिथि और भगवान शिव का संबंध
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, चतुर्दशी तिथि को चंद्रमा अत्यंत कमजोर होते हैं। चूंकि भगवान शिव ने चंद्रमा को अपने मस्तक पर धारण किया हुआ है, इसलिए इस दिन शिवजी की पूजा से चंद्रमा को बल मिलता है। चंद्रमा मन का प्रतिनिधित्व करता है, अतः शिव उपासना से इच्छाशक्ति मजबूत होती है और साहस का संचार होता है।
चतुर्दशी तिथि का महत्व
वैदिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव चतुर्दशी तिथि के स्वामी हैं। यही कारण है कि हर माह कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मासिक शिवरात्रि मनाई जाती है। महाशिवरात्रि पर यह तिथि अत्यंत शुभ मानी जाती है।
महाशिवरात्रि 2025 के पूजा मुहूर्त
• निशीथ काल पूजा (49 मिनट का विशेष मुहूर्त)
⏳ 26 फरवरी, मध्य रात्रि 12:27 बजे से 1:16 बजे तक (27 फरवरी)
• प्रथम प्रहर पूजा: 26 फरवरी, शाम 6:43 बजे से रात 9:47 बजे तक
• द्वितीय प्रहर पूजा: 26 फरवरी, रात 9:47 बजे से 12:51 बजे तक (27 फरवरी)
• तृतीय प्रहर पूजा: 27 फरवरी, रात 12:51 बजे से सुबह 3:55 बजे तक
• चतुर्थ प्रहर पूजा: 27 फरवरी, सुबह 3:55 बजे से 6:59 बजे तक
• पारण (व्रत खोलने का समय): 27 फरवरी, सुबह 6:59 बजे से 8:54 बजे तक
महाशिवरात्रि पर इन विशेष योगों और शुभ मुहूर्त में भगवान शिव की आराधना से भक्तों को विशेष लाभ प्राप्त होगा।