Mahakumbh : अमृत पाने की लालसा और अत्याचार की हद

लेखक
संजय गोस्वामी

आज लोग महाकुम्भ ( Mahakumbh ) 25 में इस तरह ट्रेन से जा रहें हैँ कि जिनका सही में सीट है उनको जबरदस्ती लाठी डंडा के बल पर बाहर निकाल रहे हैं बोलने पर पिट देते हैं वो महाकुम्भ 25 में जाकर गंगा को अपवित्र ही करेंगे और गंगा जब मैली हुई तो उसमें डुबकी लगाने से आप भी पवित्र नहीं हो सकते।

Mahakumbh में जाने वाले ही असल भक्त

अत: जो लोग महाकुंभ ( Mahakumbh ) नहीं गए हैं वही असल में राम भक्त यदि उसमें डुबकी भी लगा लें तो पुण्य नहीं मिलेगा हैं क्योंकि उन्होंने त्याग किया जो उपद्रब कर जा रहे हैं उन्हें लगता है सांसारिक चीजों से कोई प्रेरणा नहीं मिली है, क्योंकि श्रद्धालू लोगों को उसके साथ कितना गलत करते हैं, मैं इसे पूरी तरह से नहीं देखा लेकिन आज तक में ब्लैक एंड वाइट में देखने को मिला, क्योंकि आज के पुरुष बड़े तो होते जा रहे हैं,लेकिन संस्कार ठीक नहीं है मैं इसे सही बिलकुल नहीं देखता क्योंकि आज के पुरुष मुझसे बड़े होते जा रहे हैं, मैं इसे अपने हाथों से उनको प्रणाम करता हूं क्योंकि आप लाठी डंडा के नोखपर उन्हें निकालकर अमृत पाने जा रहें हैँ आज मुझे प्रभु राम के निर्देशों के अध्ययन का पालन करना है।
क्योंकि हमें दुनिया के उस पुरुष की इच्छाओं को बिना किसी कारण के, परम दृष्टि की आज्ञा के रूप में पूरा करना चाहिए,किसी का बुरा कर पाप ही मिलेगा यदि आप महाकुम्भ नहीं गए हैं तो बिलकुल अच्छा किया है क्योंकि आप अपने बेटे और बेटियों के दिमाग में अच्छे संस्कार देकर उन्हें शिक्षित ही करना चाहिए। पुरुष / महिला पुरुष उसी तरह से महिला पुरुषों से भिन्न होते हैं जैसे कि महिला पुरुष, क्योंकि पुरुष/महिला पुरुष महिला पुरुष से अलग होते हैं ऐसे पुरुषों में, महान गुण देता है दुनिया में त्याग व समर्पण कर अच्छा इंसान तो बन गए हो अपने स्वार्थ में ट्रेन में लोगों को ऐसा धक्का दे सकते हैं तो कुम्भ में क्या मिलेगा , केवल प्रेमपूर्ण दया से शुद्ध और शुद्ध आनंद प्राप्त किया जा सकता है, क्योंकि उनसे आत्म-ज्ञान उत्पन्न होता है, क्योंकि आत्मा भी दुनिया का सार है, केवल ज्ञान का देवता अन्य लोगों के लिए ऐसा ही कर सकता है। जो अविवाहित हैं और बाहर से दुनिया का ज्ञान रखते हैं, वे बाहर से दुनिया के ज्ञान को स्वीकार करते हैं, लेकिन इस वजह से वे दुनिया के लाभों को गलत तरीके से स्वीकार नहीं करते हैं, और अमृत के लोभ में अंधा होकर सही यात्रियों को निकालना आदमी के क्रोध का परिणाम हैं, अंतत: वे ऐसा करते हैं। अगर मैं दुनिया की पूर्णत:सत्य को स्वीकार करता हूं तो मैं दुनिया की अच्छाई को स्वीकार करूंगा, और मैं दुनिया के उन लाभों को स्वीकार नहीं करूंगा,जो दुष्ट लोग डुबकी लगा कर इतना अंधा आदमी के क्रोध के कारण वो जल भी पवित्र नहीं रहा । अच्छे इंसान वे हैं जो दुनिया से प्यार प्राप्त करते हैं जिसमें बुरा भला का ज्ञान हो ऐ तो एक के जी के स्टूडेंट्स से भी पूछ सकते हैं और फिर वे लोग ही आत्मा के अंधेरे का अनुभव करते हैं।लोगों से प्रेम ही अमृत के समान ही है, परन्तु कुछ लोग अंधकार के बीच में ही रहते हैं, और उन्हें संसार से प्रेम नहीं मिलता, क्योंकि वे आपको अपना सेवक नहीं मानते।
ये वे लोग हैं, जिन्हें संसार से क्रोध मिलता है, क्योंकि उन्हें उसका ज्ञान नहीं है। देश से प्रेम सैनिको व योद्धाओं द्वारा किया जाता है, जिन्होंने पुरी वाहनों की सहायता से देश की रक्षा किया है, जहाँ तक पुरुषों का प्रश्न है, वे अनेक वस्तुओं के प्रेमी हैं और वे यदि कर्म पर विश्वास रखते है । जिनकी संख्या भिन्न-भिन्न है। जहाँ तक पुरुषों का प्रश्न है, वे ही उनकी सेवा करने वाले अकेले नहीं हैं, क्योंकि उनकी कभी माँग नहीं की गई। क्योंकि वे ही आदि से कल्प के रचयिता हैं, तो वे किससे सहायता माँगेंगे, किसकी सेवा करेंगे? यह केवल इसी रूप में है। क्योंकि पुरुष कल्प के अवतारों के साथ ऐसा नहीं कर सकते, इसलिए कल्प दूसरे पूर्ण शरीर के साथ एक हैं, इसलिए कल्प का केवल उसी के लिए उपयोग है, क्योंकि कल्प के शिष्यों ने उनके अवतारों का लाभ उठाया है। इसलिए अंतर यह है कि पुरुषों के अनुसार कल्प के शिष्य एक ही हैं। जब इस दुनिया के सूक्ष्म धकेलने वाले अपने क्रमिक चरणों के माध्यम से पुरुषों तक पहुँचने की कोशिश कर रहे हैं, तो दूरदर्शी अपने लोगों तक पहुँचने की कोशिश कर रहे हैं; जब इस दुनिया के सूक्ष्म धकेलने वाले अपने लोगों के माध्यम से पुरुषों तक पहुँचने की कोशिश कर रहे हैं। जब इस दुनिया के सूक्ष्म धकेलने वाले अपने प्रयासों के माध्यम से पुरुषों तक पहुँचने की कोशिश कर रहे हैं, तो दूरदर्शी अपने लोगों तक पहुँचने की कोशिश कर रहे हैं। जब इस संसार के सूक्ष्म प्रवर्तक अपने प्रयत्नों से पुरुषों तक पहुँचने का प्रयत्न कर रहे हैं, तब दूरदर्शी अपने ही लोगों तक पहुँचने का प्रयत्न कर रहे हैं। मुझे ज्ञात हुआ है कि इस संसार में अनेक पुरुष हैं और संसार में अनेक पुरुष हैं, सारा संसार पुरुषों से बना है।
पुरुषों के प्रेम के नाम पर कल्प के भगवान उनकी सेवा करते हैं। पुरुष भी कभी-कभी ऐसे ही होते थे, सारे संसार के प्रेम का कारण भगवान के गीत हैं और स्त्रियाँ ही उसका बखान भी करती हैं कि मेरा पति भले ही कुम्भ नहीं लेकर गया लेकिन इंसानियत जिंदा है ।
प्रभु राम जो दुनिया का मालिक है, और वे ही हमें त्याग का रास्ता दिखाते हैँ और मैं निमित्त मात्र हूँ जो लोगों से ईर्ष्या नहीं करता हूँ। उसी तरह, मैं वह हूं जो ऐसे लोगों का सेवक हूं, और मैं ही वह हूं जो अद्वैत का मालिक हूं। मैं वह हूं जो दुनिया का मालिक के रास्ते चल रहा हूँ सच्चाई के पथ पर और मैं ही वह हूं जो सभी दुनियाओं का मालिक के बताये रास्ते पर चल रहा हूं। ये हमेशा ब्रह्मांड के दुश्मनों से लडऩे वाले हैं, और वे ही परमात्मा के सही बंदे हैं जो ब्रह्मांड के रक्षक हैं, अद्वैत के योद्धा हैं। अपनी रक्षा के लिए, वे इन योद्धाओं का ही काम करते हैं। ब्रह्मांड के निर्माण में, वे ब्रह्मांड के दुश्मनों के खिलाफ लड़ते हैं, और वे ही ब्रह्मांड के दुश्मनों के खिलाफ लडऩे वाले हैं। वे ही एक योद्धा का काम करते हैं, और वे ही दूसरे योद्धाओं के खिलाफ लड़ते हैं। वे ही एक योद्धा का काम करते हैं, और वे ही एक योद्धा का काम करते हैं। जंगल में रहते हुए, मेरे प्रियजनों के कुछ पुत्र, जिन्हें मेरे शरीर के दिव्य रूप का ज्ञान नहीं है, और मैंने उन्हें ईश्वर की कृपा से खुश कर दिया है। उनमें से कुछ को जंगल से बाहर निकाल दिया गया है। मेरे प्रियजनों के कुछ पुत्र, जो अपना जीवन लिखने में असमर्थ हैं, और कुछ बिना आँखों के रह गए हैं। किफारी के जंगल में, मेरे साथ लडऩे वाले कुछ छोटे आदमी वही हैं जिन्होंने विजुक दिन्हसेक के गर्भ से मेरे जीवन का निर्माण किया है। किसी मामले में, हिंदू कैलेंडर को विनायक चंत्री ने बंद कर दिया है और उसके द्वारा चार दुश्मनों को मार दिया गया है। इससे मैडम को भी नए पुरुषों की मौत का सामना करना पड़ता है। यह इस हिंदू कैलेंडर की कहानी है, हिंदू कैलेंडर की जीभ को मध्यम वर्ग के लोगों द्वारा बंद किया जाना है, जो पूरे आध्यात्मिकता के साथ एक ही स्थान के लोगों का सामना नहीं करना चाहते हैं। कई बार मैंने ईर्ष्या का काम किया है, भक्ति के गीत गाने वाले कुछ पुरुष ब्रह्मांड के विनाश से कम नहीं करते हैं, मुझे शुरू से ही पिता और माँ का काम करना पड़ता है, जो आध्यात्मिक मार्ग में उसी तरह आनंद लेंगे, और मैं बाबा के साथ भी ऐसा ही करूंगा। ऐसे पुरुष हमारे धर्म के गुरु बन गए हैं। ऐसी चीजों के कारण मुझे समान समस्याओं का सामना करना पड़ता है, और मैं कई अन्य पुरुषों के साथ भी ऐसा ही करूंगा। अगर लडक़ी शरीर के दाहिने और दाहिने हाथ में कमजोर आदमी के समान स्थिति में है, तो उसे अपने पति के दर्द का सामना करना पड़ता है। अगर लडक़ी शरीर के दाहिने हाथ में है, तो उसे अपने पति के दर्द का सामना करना पड़ता है। यदि कन्या शरीर के दाहिने हाथ में हो तो उसे अपने पति की पीड़ा का सामना करना पड़ता है। भूमि-पुरी के हाथों से पुनर्जीवित होने वाला ताम्बा उत्तम शरीर का आंतरिक रक्षक है, जो इस शरीर का रक्षक है। इस दुनिया के दिनों से, मैं पहाड़ों से होकर गुजरता रहा हूँ, योग्याकार्ता कई वर्षों से तूफान की गर्मी में रहा है। देश के दूसरी ओर से, मैं दुनिया को विद्युतीकृत करता रहा हूँ, जो पृथ्वी के उत्तर-पूर्वी भाग से बंधा हुआ है और 144साल की बाद को बिना सोचे अंश भक्त ऐसे है की लाठी डंडा का सहारा लेकर कुम्भ में पाप धोने जे लिए भगदड से हजारों लोगों को कुचलकर मौत के नींद सुला दिया हो ब्बत श्रद्धालू की संख्या का नहीं है सरकारी दावे में 30ही हैँ लेकिब मरे तो वे जिनका क़ोई गलरी नहीं थी जहर थोड़ा हो या ज्यादा जहर जहर ही हैँ और पानी को गन्दा कर दिया है चाहें भीड़ के आक्रोश चाहें 30लोग मरे हो। इन भयंकर गलत कार्य से अमानवीय हरकतों से तुम्हारा यह स्थान पूरी तरह से नष्ट हो गया है, अपने भयंकर बच्चों की मदद से वे अंतरिक्ष में प्रवेश कर रहे हैं। भारत के योद्धाओं की मदद से वे बाहरी शत्रु के हमलों से देश सुरक्षित हैं.वे ही असली देश प्रेम का अमृत रस पान किया है.
(यह लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं इससे संपादक का सहमत होना अनिवार्य नहीं है)