आपसी हितों में टकराव, Mahavir Medical College नीलामी की कगार पर

स्वतंत्र समय, भोपाल

राजधानी में जैन सर्वोदय विद्याज्ञान पीठ समिति के महावीर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च ( Mahavir Medical College ) नीलामी की कगार पर है। इस कॉलेज को स्थापित करवाने में सीएम के तत्कालीन सचिव रहे अनुराग जैन और प्रमुख सचिव रहे इकबाल सिंह बैंस ने खासी भूमिका निभाई थी, लेकिन ट्रस्टियों में आपसी विवाद के चलते बैंक का लोन नहीं पटा पाने की वजह से सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया ने 122 करोड़ रुपए की रिकवरी के लिए नीलामी नोटिस दिया है।

Mahavir Medical College को सरकार ने दी थी 25 एकड़ जमीन

राजधानी भोपाल में आचार्य विद्यासागर महाराज के नाम पर एक मेडिकल कॉलेज ( Mahavir Medical College ) स्थापित करने का प्रस्ताव जैन समाज के लोगों ने रखा था। लेकिन बाद में इसका नाम बदल दिया गया, जिसका काफी विरोध भी हुआ। इसकी अगुवाई तत्कालीन समय में डॉ. राजेश जैन को सौंपी गई थी। कॉलेज को मंजूरी दिलाने सहित भूमि आवंटन में डॉ. जैन की भूमिका रही। इस मेडिकल कॉलेज को सरकार ने निशुल्क 25 एकड़ जमीन आरजीपीवी कॉलेज के पास आवंटित की थी, लेकिन बाद में इस कॉलेज का नाम महावीर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च कॉलेज कर दिया गया। कॉलेज स्थापित होने से पहले ही ये विवादों में आ गया था। ये एक ऐसा कॉलेज है, जिसके ट्रस्टी तत्कालीन वित्त मंत्री रहते जयंत मलैया बने थे। इसमें ट्रस्टी के रूप में पूर्व आईपीएस आरके दिवाकर, मनोहरलाल टोंग्या, सुनील जैन, सनत कुमार जैन, देवेंद्र जैन तथा अशोक कुमार जैन थे। बाद में इसमें बदलाव किया गया और इससे यह विवादों में घिर गया।

पूर्व वित्त मंत्री है कॉलेज के चेयरमैन

कॉलेज के चेयरमैन पूर्व वित्त मंत्री जयंत मलैया हैं और प्रशासक सेवानिवृत्त आईएएस राजेश जैन हैं। नीलामी नोटिस के बाद कॉलेज की समिति के संस्थापक सदस्य डॉ. राजेश जैन का आरोप है कि जयंत मलैया और प्रशासक राजेश जैन के कारण यह सब हुआ है। ट्रस्ट के पास पैसे होने के बाद भी इन लोगों ने लोन नहीं चुकाया। यह लोग अब नीलामी के जरिए अपने किसी चहेते को 850 करोड़ की यह प्रॉपर्टी दिलाना चाहते हैं। जांच हुई तो सामने आई लापरवाही संस्था के सदस्यों के बीच हुए विवाद के बाद मामले की जांच असिस्टेंट रजिस्ट्रार फम्र्स एंड सोसाइटी ने की थी। सितंबर 2023 में सामने आई जांच रिपोर्ट में लिखा गया कि संस्था के दस्तावेजों का रिकॉर्ड सही ढंग से नहीं किया गया। सदस्यता देने में भी गड़बड़ी हुई। महावीर मेडिकल साइंसेज कॉलेज 2020 में शुरू हुआ। इसके लिए 136 करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट के आधार पर सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया ने 104.12 करोड़ का लोन स्वीकृत किया। इसमें से 95 करोड़ ही संस्था को मिले। ब्याज के रूप में 36 करोड़ बनता है। यदि फीस से हुई आमदनी से राशि चुकाई जाती तो महज 95 करोड़ रुपए ही देने पड़ते।

10 जुलाई तक दिया है बैंक ने समय

महावीर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च कॉलेज के संचालकों को सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया ने 122 करोड़ का लोन चुकाने के लिए 10 जुलाई तक का समय दिया है। मेडिकल कॉलेज की स्थापना के समय आईएएस अनुराग जैन ने काफी मेहनत करते हुए बैंक से लोन दिलाने से लेकर जमीन आवंटन सहित सारे काम कराने में भूमिका निभाई थी। इसके लिए स्टाफ भी गांधी मेडिकल कॉलेज सहित अन्य संस्थाओं से रखवाया गया, लेकिन सदस्यों के आपसी हितों में टकराव की वजह से आज ये स्थिति बनी। सूत्रों का कहना है कि इस मामले में सदस्यों के बीच सेटलमेंट हो गया है और लोन की राशि भर दी जाएगी।