री-डेंसिफिकेशन पॉलिसी में बड़ा बदलाव, अब निजी कंपनियों को नहीं मिलेगी खुली छूट, सरकार ने सख्त किया नियमों का ढांचा

मध्यप्रदेश सरकार अब पुनः घनत्वीकरण योजना (Redensification Scheme) में बड़े बदलाव करने जा रही है। दरअसल, पिछले कुछ वर्षों में इस योजना के तहत सरकार को करोड़ों रुपये के नुकसान का सामना करना पड़ा है। निजी फर्मों को निर्माण कार्यों के बदले बेशकीमती सरकारी जमीनें दी जा रही थीं, जिससे कई जगहों पर जमीन की वास्तविक कीमत की तुलना में सरकार को भारी घाटा हुआ। स्थिति यह रही कि कुछ मामलों में शिकायतें सीधे मुख्य सचिव तक पहुंचीं। अब सरकार ने तय किया है कि योजना के प्रावधानों की समीक्षा कर नियमों को सख्त किया जाएगा ताकि निजी फर्मों को मनमानी छूट न मिल सके।

कैबिनेट में आ सकता है प्रस्ताव

सूत्रों के अनुसार, इस योजना में संशोधन का प्रस्ताव होने वाली कैबिनेट बैठक में रखा जा सकता है। अगर सबकुछ ठीक रहा, तो इसे मंजूरी भी मिल सकती है। सरकार का उद्देश्य है कि आगे से रिडेंसिफिकेशन के नाम पर किसी को सरकारी संपत्ति का अनुचित लाभ न मिले। इस योजना के तहत सरकार निजी फर्मों को 100 साल की लीज पर जमीन उपलब्ध कराती है। बदले में वे फर्में सरकार के लिए आवश्यक अधोसंरचनात्मक प्रोजेक्ट जैसे सरकारी आवास, दफ्तर या अन्य इमारतें बनाती हैं। निर्माण पर पूरा खर्च फर्म को वहन करना होता है, जबकि सरकार जमीन उपलब्ध कराकर सुविधा देती है।

बैतूल में करोड़ों की जमीन का मामला चर्चा में

बैतूल जिले में इस योजना से जुड़ा एक मामला सुर्खियों में है। यहां नए जेल परिसर के निर्माण के बदले पुराने जेल की जमीन निजी फर्म को दे दी गई। बताया जा रहा है कि यह जमीन शहर के बीचोंबीच स्थित है और इसकी कीमत करोड़ों में है। निर्माण कार्य पूरा होने के बाद इस जमीन का मूल्य कई गुना बढ़ गया, जिससे सरकार को अप्रत्यक्ष रूप से बड़ा आर्थिक नुकसान हुआ। ऐसे कई मामलों में स्थानीय प्रशासन और फर्मों के बीच मिलीभगत के आरोप लगे हैं। सूत्रों का कहना है कि कई जिलों में बेशकीमती सरकारी संपत्तियां व्यावसायिक क्षेत्रों में स्थित होने के बावजूद कम मूल्यांकन पर दी गईं, जिससे सरकारी खजाने को भारी क्षति हुई।

सरकार करेगी पारदर्शिता और नियंत्रण बढ़ाने की तैयारी

राज्य सरकार अब ऐसे प्रोजेक्ट्स के लिए पारदर्शिता के नए मानक तय करने की तैयारी में है। प्रस्तावित बदलावों के तहत, लीज पर दी जाने वाली जमीनों की कीमत, क्षेत्र और उपयोगिता को लेकर स्पष्ट दिशा-निर्देश तय किए जाएंगे। साथ ही, किसी भी प्रोजेक्ट को मंजूरी देने से पहले वित्त और नगरीय विकास विभाग की संयुक्त जांच अनिवार्य की जाएगी। इसके अलावा, सरकार यह भी सुनिश्चित करना चाहती है कि विकास परियोजनाओं के बदले दी जाने वाली सरकारी संपत्तियों का मूल्यांकन एक स्वतंत्र एजेंसी के माध्यम से किया जाए। ताकि किसी भी स्तर पर गड़बड़ी की गुंजाइश न रहे।

अन्य प्रस्तावों पर भी चर्चा संभव

रिडेंसिफिकेशन योजना के अलावा, अन्य अहम विषयों पर भी चर्चा की संभावना है। इनमें मेडिकल कॉलेजों में नए पदों का सृजन, चिकित्सकों और कर्मचारियों की भर्ती, तथा स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार से जुड़े प्रस्ताव शामिल हो सकते हैं। सरकार का फोकस आने वाले महीनों में स्वास्थ्य, शिक्षा और बुनियादी ढांचे के क्षेत्र में बड़े सुधार लाने पर है।