रेंट सिस्टम में बड़ा फेरबदल, हाई किराया और TDS पर लागू हुए नए नियम

केंद्र सरकार ने किराएदारों की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए ‘रेंट रूल्स 2025’ लागू कर दिए हैं। इन नए प्रावधानों का मकसद किराए पर रहने की प्रक्रिया को सुरक्षित, पारदर्शी और अधिक व्यवस्थित बनाना है। अब किराया समझौता करने के बाद 60 दिनों के भीतर ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा और सिक्योरिटी डिपॉजिट पर भी सीमा तय की गई है। इसका उद्देश्य यह है कि किसी भी तरह की मनमानी या विवाद की संभावना कम हो और किराएदार तथा मकान मालिक दोनों सुरक्षित ढंग से किराएदारी निभा सकें।

उच्च किराए पर टैक्स के नए नियम

सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि यदि किसी व्यक्ति का मासिक किराया 50,000 रुपये से अधिक है, तो उसे किराए के साथ टैक्स नियमों का पालन भी करना अनिवार्य होगा। टैक्स विभाग ने बताया कि 50,000 रुपये से अधिक किराया देने वालों को केवल भुगतान करना पर्याप्त नहीं है, बल्कि TDS काटना और उसकी रिपोर्टिंग करना भी जरूरी है। ऐसा न करने पर लेट फीस, ब्याज और कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है।

TDS से जुड़े महत्वपूर्ण प्रावधान

इनकम टैक्स एक्ट की धारा 194-IB के अनुसार, नौकरीपेशा, प्रोफेशनल या छोटे व्यापारी जो महीने में 50,000 रुपये से अधिक किराया देते हैं, उन्हें 2% TDS काटना अनिवार्य है। यह TDS साल में एक बार मार्च में या किराए की अवधि समाप्त होने वाले महीने में जमा करना होता है।

अगर पिछले वित्त वर्ष में किसी व्यक्ति का कारोबार 1 करोड़ रुपये से कम या प्रोफेशनल इनकम 50 लाख से कम थी, तब भी उसे TDS काटना पड़ेगा। इसके बाद किराएदार को फॉर्म 26QC भरना और मकान मालिक को फॉर्म 16C जारी करना होता है। अक्सर लोग इसे केवल कंपनियों पर लागू समझकर अनदेखा कर देते हैं, लेकिन बाद में टैक्स विभाग की ओर से लेट फीस या पेनल्टी के नोटिस आने लगते हैं।

नियमों का उल्लंघन करने पर कड़ी कार्रवाई

नए रेंट रूल्स में नियम तोड़ने पर सख्त दंड तय किए गए हैं।

  • देर से TDS जमा करने पर प्रतिदिन 200 रुपये लेट फीस
  • TDS न काटने पर 1% मासिक ब्याज
  • TDS न जमा करने पर 1.5% मासिक ब्याज
  • 10,000 से 1,00,000 रुपये तक का जुर्माना
  • गंभीर मामलों में 3 महीने से 7 साल तक की जेल
    इससे स्पष्ट है कि सरकार टैक्स पारदर्शिता को बेहद गंभीरता से लागू करना चाहती है।

ऑनलाइन रेंट एग्रीमेंट: अब अनिवार्य

नए नियमों के तहत रेंट एग्रीमेंट केवल कागजों पर नहीं चलेगा। इसे 60 दिनों के भीतर ऑनलाइन पोर्टल पर रजिस्टर करना जरूरी होगा। ऐसा न करने पर 5,000 रुपये तक का जुर्माना लग सकता है। इस बदलाव का उद्देश्य बिना लिखित समझौतों या मनमाने शर्तों को खत्म करना है, ताकि भविष्य में किसी भी तरह का विवाद पैदा न हो।

किराया बढ़ोतरी पर लगाम

अब मकान मालिक किसी भी समय किराया नहीं बढ़ा पाएंगे। किराया बढ़ाने से कम से कम 90 दिन पहले लिखित सूचना देना अनिवार्य होगा। इसके अलावा, किराएदार को बिना किसी उचित कारण के अचानक घर खाली करवाने की प्रथा पर भी रोक लगा दी गई है। बिना रेंट ट्रिब्यूनल के आदेश के कोई भी मकान मालिक किराएदार को घर खाली करने के लिए नहीं कह सकेगा, जो बड़े शहरों में रहने वालों के लिए राहत का बड़ा कदम है।

मरम्मत और निरीक्षण के लिए स्पष्ट नियम

घर में जांच या मरम्मत के लिए आने से पहले मकान मालिक को 24 घंटे पूर्व जानकारी देनी होगी। साथ ही आवश्यक मरम्मत 30 दिनों के भीतर पूरी होना चाहिए। यदि ऐसा नहीं होता, तो किराएदार किराया घटा सकता है या स्वयं मरम्मत कराकर उसका खर्च समायोजित कर सकता है। इसके अलावा, किराए, डिपॉजिट, घर खाली करवाने और नुकसान जैसे मामलों पर अब 60 दिनों के भीतर ट्रिब्यूनल द्वारा निर्णय होगा।

किराएदारों के मुख्य लाभ

  • सिक्योरिटी डिपॉजिट पर सीमा तय
  • किराया बढ़ोतरी पर नियंत्रण
  • पूरे सिस्टम का डिजिटल और पारदर्शी होना
  • विवादों का समयबद्ध समाधान

मकान मालिकों के लिए फायदे

  • कानूनी रूप से मजबूत और सुरक्षित कॉन्ट्रैक्ट
  • डिजिटल रिकॉर्ड होने से विवाद कम
  • भुगतान ट्रैकिंग आसान
  • रेंट ट्रिब्यूनल से समयबद्ध न्याय