Makar Sankranti 2025: आज 14 जनवरी 2025 को मकर संक्रांति का पावन पर्व मनाया जा रहा है, जिसे सूर्य के उत्तरायण होने का प्रतीक माना जाता है। इस दिन से सूर्य के प्रभाव में तेजी आने लगती है, जिससे दिन लंबे और रात्रि छोटी होने लगती है। मकर संक्रांति के साथ ही खरमास समाप्त होता है, और शुभ व मांगलिक कार्यों जैसे शादी, सगाई, मुंडन, गृह प्रवेश आदि का आरंभ हो जाता है। यह त्योहार देशभर में विभिन्न परंपराओं और रीति-रिवाजों के साथ मनाया जाता है, जिसमें तिल-गुड़ का विशेष महत्व होता है। इस दिन दान-पुण्य और पवित्र नदियों में स्नान का भी विशेष महत्व है।
मकर संक्रांति के दिन दान का विशेष महत्व होता है, जिसे अत्यंत शुभ माना जाता है। इस पावन अवसर पर तिल-गुड़ और खिचड़ी का दान करने की परंपरा है, जो न केवल रिश्तों में मिठास बढ़ाने का प्रतीक है, बल्कि इससे व्यक्ति को पापों से मुक्ति भी मिलती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन तर्पण करने से पितृदोष दूर होता है और घर में सुख-शांति का वास होता है। साथ ही, तर्पण के माध्यम से पूर्वजों की आत्मा को शांति प्रदान की जाती है। इस दिन दान-पुण्य और धार्मिक कार्यों से न केवल आध्यात्मिक लाभ मिलता है, बल्कि यह समाज में सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी करता है।
उदयातिथि के अनुसार, मकर संक्रांति का पर्व इस वर्ष 14 जनवरी 2025 को मनाया जा रहा है। आज सुबह सूर्य 8 बजकर 41 मिनट पर मकर राशि में प्रवेश करेंगे, जिससे यह पावन पर्व आरंभ होगा। हिंदू पंचांग के अनुसार, मकर संक्रांति का पुण्य काल आज सुबह 9 बजकर 03 मिनट से लेकर शाम 5 बजकर 46 मिनट तक रहेगा, जिसमें धार्मिक अनुष्ठान और दान-पुण्य करना अत्यंत शुभ माना जाता है। इसके साथ ही, महापुण्य काल का समय सुबह 9 बजकर 03 मिनट से लेकर 10 बजकर 48 मिनट तक रहेगा। इस विशेष काल में स्नान, दान, और तर्पण करने से अत्यधिक पुण्य की प्राप्ति होती है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, मकर संक्रांति का दिन सूर्य देव और उनके पुत्र शनि के मिलन का प्रतीक है। शनि मकर और कुंभ राशि के स्वामी हैं, और इस दिन सूर्य देव शनि के घर आते हैं, जिससे यह पर्व पिता-पुत्र के अनोखे संबंध का प्रतीक बनता है। इसके साथ ही, मकर संक्रांति असुरों पर भगवान विष्णु की विजय का पर्व भी है। मान्यता है कि इसी दिन भगवान विष्णु ने पृथ्वी लोक पर असुरों का संहार किया और उनके सिरों को काटकर मंदरा पर्वत पर गाड़ दिया। यह विष्णु की अधर्म पर धर्म की जीत का प्रतीक है, और तभी से यह पर्व उनके इस विजय के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। इस दिन को धार्मिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है।
मकर संक्रांति के दिन धार्मिक अनुष्ठानों का विशेष महत्व है। इस दिन सूर्य पुराण का पाठ करना शुभ माना जाता है, क्योंकि यह व्यक्ति को आध्यात्मिक शक्ति और शांति प्रदान करता है। साथ ही, देवी-देवताओं को नए वस्त्र अर्पित करें, क्योंकि मान्यता है कि इस दिन देवलोक में दिन का आरंभ होता है। मकर संक्रांति पर स्नान के समय जल में काला तिल डालकर स्नान करना और काले तिल का उबटन लगाना भी अत्यंत लाभकारी होता है। ऐसा करने से न केवल शरीर शुद्ध होता है, बल्कि रोग और दोष भी समाप्त हो जाते हैं। यह दिन आत्मशुद्धि और आरोग्यता के लिए विशेष महत्व रखता है।