Makar Sankranti 2025: मकर संक्रांति के अवसर पर 14 जनवरी को उज्जैन के महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में विशेष उल्लास रहेगा। तड़के चार बजे होने वाली भस्म आरती में पुजारी भगवान महाकाल को तिल के उबटन से अभिषेक करेंगे और हल्के गर्म जल से स्नान कराएंगे। इस अवसर पर सूर्यदेव के उत्तरायण होने का उत्सव महाकाल के आंगन से लेकर शिप्रा तट तक छाया रहेगा। भक्तों के लिए यह अनूठा आयोजन आध्यात्मिक अनुभव और धार्मिक आस्था से परिपूर्ण रहेगा।
मकर संक्रांति के दिन उज्जैन में सूर्योदय के बाद श्रद्धालु शिप्रा नदी में पर्व स्नान करेंगे और इसके उपरांत दान-पुण्य करेंगे। महाकाल मंदिर के पुजारी पंडित महेश ने बताया कि इस पावन अवसर पर भगवान महाकाल को तिल के उबटन से स्नान कराने की विशेष परंपरा है। यह आयोजन श्रद्धालुओं के लिए धार्मिक आस्था और पुण्य अर्जन का अवसर प्रदान करता है, जो शिप्रा तट से महाकाल मंदिर तक एक दिव्य वातावरण का सृजन करता है।
मकर संक्रांति पर भगवान महाकाल का विशेष शृंगार किया जाएगा। स्नान और उबटन के बाद उन्हें नवीन वस्त्र और सोने-चांदी के आभूषण धारण कराकर दिव्य स्वरूप में सजाया जाएगा। इसके बाद भगवान को तिल के पकवानों का महाभोग अर्पित कर आरती की जाएगी। महाकाल मंदिर को इस अवसर पर पतंगों से आकर्षक ढंग से सजाया जाएगा, जो श्रद्धालुओं के लिए आध्यात्मिक और भव्य दृश्य प्रस्तुत करेगा।
मकर संक्रांति का पर्व सांदीपनि आश्रम, भगवान श्रीकृष्ण की शिक्षा स्थली, में पारंपरिक हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा। पुजारी पंडित रूपम व्यास ने बताया कि सुबह भगवान श्रीकृष्ण को तिल युक्त हल्के गर्म जल से स्नान कराया जाएगा। इसके बाद पंचोपचार विधि से पूजन कर तिल्ली से बने पांच प्रकार के पकवानों का भोग अर्पित किया जाएगा और आरती की जाएगी। भगवान सूर्यदेव को अर्घ्य देने के बाद मंदिर के शिखर पर नया ध्वज फहराया जाएगा। इस अवसर पर मंदिर को रंग-बिरंगी पतंगों से भव्य रूप से सजाया जाएगा, जो श्रद्धालुओं के लिए एक अद्भुत दृश्य प्रस्तुत करेगा।
मकर संक्रांति के दिन सुबह आठ बजे सूर्यदेव मकर राशि में प्रवेश करेंगे और उनकी उत्तरायण यात्रा शुरू होगी। सूर्य के मकर राशि में प्रवेश के साथ ही मलमास का समापन होगा, जिससे शुभ कार्यों का आरंभ होगा। मकर का सूर्य होते ही श्रद्धालु पवित्र शिप्रा नदी में स्नान करेंगे और दान-पुण्य कर अपनी आस्था प्रकट करेंगे। यह अवसर धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से विशेष महत्व रखता है।
मकर संक्रांति के दिन ब्राह्मणों को भेंट दी जाएगी और मंदिरों में गुड़, तिल्ली तथा खिचड़ी का दान किया जाएगा। इस दिन गायों को चारा और भिक्षुकों को भोजन कराने का भी विशेष महत्व है। सूर्यदेव की सवारी त्रिवेणी संगम स्थित प्राचीन श्री नवग्रह शनि मंदिर से निकाली जाएगी। सुबह 11 बजे आध्यात्मिक संत कृष्णा गुरुजी मिश्रा के सानिध्य में निकलने वाली पालकी यात्रा में सूर्यदेव पंचवाद्य नाद के साथ मंदिर परिक्षेत्र का भ्रमण करेंगे। यात्रा शिप्रा के त्रिवेणी संगम तक पहुंचेगी, जहां पंडित सूर्य देवता की पूजा अर्चना करेंगे। पूजन के बाद सवारी पुनः मंदिर लौटेगी, जहां वेदपाठी बटुक आदित्यहृदय स्तोत्र का पाठ किया जाएगा।
मकर संक्रांति के पर्व पर भगवान ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग को तिल के लड्डुओं का भोग अर्पित किया जाएगा। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान का विशेष महत्व है, जिससे बड़ी संख्या में श्रद्धालु नर्मदा स्नान के लिए ओंकारेश्वर पहुंचेंगे। संक्रांति पर यहां 50 हजार से अधिक श्रद्धालु आने की संभावना को देखते हुए प्रशासन और पुलिस द्वारा आवश्यक व्यवस्थाएं की जा रही हैं। वाहनों को नए बस स्टैंड पर रोककर पार्किंग की जाएगी। मंदिर ट्रस्ट के पं. आशीष दीक्षित ने बताया कि इस दिन तिल के लड्डू और खिचड़ी प्रसाद का वितरण किया जाएगा, जिससे श्रद्धालुओं को पुण्यलाभ मिलेगा।