मलयालम सिनेमा में महिलाओं की स्थिति पर Hema Committee की रिपोर्ट से हंगामा

स्वतंत्र समय, तिरुवनंतपुरम

मलयालम सिनेमा उद्योग में महिलाओं के साथ होने वाले उत्पीड़न पर न्यायमूर्ति हेमा समिति ( Hema Committee ) की रिपोर्ट के चौंकाने वाले खुलासे की चर्चा है। रिपोर्ट में महिलाओं के लिए सुरक्षित कामकाजी माहौल और महिला पेशेवरों के लिए समान व्यवहार सुनिश्चित करने के लिए कठोर कदम उठाने की बात कही है। विपक्षी कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूडीएफ गठबंधन ने शिकायतों की जांच के लिए महिला आईपीएस अधिकारियों की एक टीम बनाने की मांग की है। वहीं राज्य महिला आयोग ने रिपोर्ट में बताए गए मुद्दों को हल करने के लिए अधिकारियों से तत्काल हस्तक्षेप करने की मांग की है।

Hema Committee ने सीएम पी विजयन को रिपोर्ट सौंपी

न्यायमूर्ति हेमा समिति ( Hema Committee ) की 295 पन्नों की रिपोर्ट में मलयालम फिल्म उद्योग से जुड़ीं 51 महिला पेशेवरों की गवाही ली गई है। रिपोर्ट में महिलाओं के साथ कास्टिंग काउच और खराब कामकाजी परिस्थितियों की बताई गई है। रिपोर्ट में बताया कि फिल्मों में भूमिकाएं हासिल करने के लिए महिलाओं को ‘समझौता’ करना पड़ता है। रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि एक ‘आपराधिक गिरोह’ मलयालम सिनेमा उद्योग को नियंत्रित कर रहा है, जहां महिलाओं को दबाया जा रहा है। पैनल की रिपोर्ट में यह भी आरोप लगाया गया है कि मु_ी भर निर्माता, निर्देशक, अभिनेता और प्रोडक्शन कंट्रोलर मिलकर एक ‘शक्तिशाली गठजोड़’ चला रहे हैं जो पूरे सिनेमा उद्योग को नियंत्रित कर रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, जो महिला कलाकार समझौता करने के लिए तैयार होती हैं, उन्हें कोड नाम दिए जाते हैं और जो झुकने के लिए तैयार नहीं होती हैं, उन्हें मैदान से बाहर कर दिया जाता है।

केरल सरकार ने बनाई थी Hema Committee

केरल सरकार ने मलयालम सिनेमा में यौन उत्पीडऩ और लैंगिक असमानता के मुद्दों का अध्ययन करने और महिलाओं की समस्याओं के समाधान के लिए हेमा समिति का गठन किया था। इस समिति में जस्टिस हेमा, जस्टिस शारदा और डॉ. वलसाला कुमारी शामिल हैं। साल 2017 में फिल्म अभिनेता दिलीप से जुड़े एक मामले के बाद यह समिति गठित की गई थी। इस मामले में एक अभिनेत्री के उत्पीडऩ के आरोप लगे थे।