मल्हार आश्रम की Hariyali पर भी मंडरा रहा खतरा

स्वतंत्र समय, इंदौर

शहर के बीच पुराने शैक्षणिक संस्थान मल्हार आश्रम में हरियाली ( Hariyali ) से आक्षांदित इस परिसर में भी पुराने घने पेड़ काटे जा रहे है। इसकों लेकर पर्यावरण प्रेमियों ने खासी चिंता जताई और पेड़ों को बचाने की मुहिम भी शुरू की है। पर्यावरण प्रेमियों का मानना है कि पेड़ कटाई रोके बिना पौधा रोपण अभियान का औचित्य क्या रह जाएंगा। क्योकि एक पौधे को पेड़ बनने में दस से पंद्रह वर्ष लग जाते है। एक पेड़ मां के नाम अभियान में इंदौर पौधरोपण का विश्व रिकार्ड बनाने की तैयारी में है। इस अभियान की तैयारी जोर शोर से जारी है वहीं दूसरी तस्वीर न केवल भयाक्रांत करने वाली है बल्कि, इंदौर के लिए बड़ा खतरा भी बनने जा रही है। विकास के नाम पर उन बड़े और छायादार पेड़ों की बली लगातार ली जा रही है जिन्हें सहेजने की सबसे ज्यादा जरूरत है।

Hariyali भौतिक विकास के नाम पर उजाड़ी जा रही

पर्यावरण संरक्षण के लिए काम करने वाले सचीकांत बिरथरिया ने चिंता जताते हुए कहा कि हमारे शहर की हरियाली ( Hariyali ) भौतिक विकास के नाम पर उजाड़ी जा रही है। मल्हार आश्रम विद्यालय शहर के मध्य क्षेत्र का ऑक्सीजन प्लांट है जिसका लाभ सिर्फ आसपास के रिहायशी इलाकों को ही नहीं बल्कि हजारों उन लोगों को भी मिल रहा है जो सुबह शाम नियमित यहां घुमने अथवा व्यायाम करने आते है। पुराने छायादार बड़े पेड़ों को काटा जा रहा है यह शहर के स्वास्थ्य के लिए ठीक नहीं है।

पंद्रह साल बाद पेड़ बनेगा पौधा

पर्यावरणविद स्वप्निल व्यास, अरविंद पोरवाल ने भी पेड़ों की कटाई पर चिंता जाहिर की। इनका कहना है कि आज लगाया गया पौधा दस से पंद्रह साल में पेड़ बनेगा ऐसे में हमे लगातार खत्म होती हरियाली को बचाने के प्रयास सख्ती के साथ करने होंगे। व्यास ने आशंका जाहिर करते हुए कहा कि हाल ही में नगर निग ने अन्नपूर्णा क्षेत्र में प्रस्तावित मार्ग में बाधक बन रही बस्ती को हटाया है। इस मार्ग पर भी खूब पेड़ लगे है, मार्ग निर्माण के नाम पर इन्हें भी काट ना दिया जाए।