कैबिनेट बैठक में कई बड़े फैसलों पर लगी मुहर, पीथमपुर तक इंदौर-उज्जैन मेट्रो का विस्तार, भोपाल मेट्रो को नर्मदापुरम और विदिशा से जोड़ने की तैयारी

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में मंत्रालय में हुई कैबिनेट बैठक में प्रदेश से जुड़े कई अहम मुद्दों पर चर्चा की गई और महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए। बैठक के दौरान बुनियादी ढांचे, परिवहन, कानून व्यवस्था और ऊर्जा से संबंधित प्रस्तावों को मंजूरी दी गई। मुख्यमंत्री ने कहा कि इन फैसलों से न केवल जनता को सुविधाएं मिलेंगी बल्कि प्रदेश के विकास को भी नई दिशा मिलेगी।

लोक अभियोजन अधिकारियों के 610 पद स्वीकृत

बैठक में सबसे महत्वपूर्ण निर्णयों में से एक था—प्रदेश में लोक अभियोजन अधिकारियों के नए पद सृजित करना। कैबिनेट ने हर बोर्ड में एक लोक अभियोजन अधिकारी की नियुक्ति को हरी झंडी दी है। इसके तहत कुल 610 नए पद बनाए जाएंगे। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने बताया कि इस फैसले से न्याय व्यवस्था और अधिक सुदृढ़ होगी और कानूनी प्रक्रियाओं में तेजी आएगी।

पुलिस अधिकारियों को मिलेंगे टैबलेट

कैबिनेट ने पुलिस विभाग को भी हाईटेक बनाने का निर्णय लिया है। जांच अधिकारियों को अब डिजिटल सुविधाओं से लैस किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने बताया कि पहले चरण में 1,732 अधिकारियों को टैबलेट उपलब्ध कराए जाएंगे। इसके बाद चरणबद्ध तरीके से कुल 25,000 टैबलेट खरीदे जाएंगे और पुलिस अफसरों को सौंपे जाएंगे। इस पहल का उद्देश्य जांच कार्यों को तकनीकी रूप से आसान और पारदर्शी बनाना है।

महाकाल से पीथमपुर तक मेट्रो का विस्तार

बैठक में परिवहन क्षेत्र को लेकर भी अहम चर्चा हुई। मुख्यमंत्री ने बताया कि इंदौर-उज्जैन के बीच प्रस्तावित मेट्रो को अब पीथमपुर तक ले जाने की योजना बनाई गई है। यह मेट्रो उज्जैन से इंदौर और फिर इंदौर से सीधे पीथमपुर तक चलेगी। उन्होंने कहा कि इस परियोजना पर प्रति किलोमीटर लगभग ₹9 लाख का खर्च अनुमानित है। इसी तरह भोपाल मेट्रो को नर्मदापुरम और विदिशा तक विस्तारित करने की योजना भी तैयार की गई है। इससे आमजन को यात्रा में बड़ी सुविधा मिलेगी और ट्रैफिक का दबाव भी कम होगा।

स्वच्छ जल आपूर्ति और सौर ऊर्जा का उपयोग

बैठक में जलापूर्ति और ऊर्जा क्षेत्र में भी नई पहल का निर्णय हुआ। मध्यप्रदेश जल निगम की नल-जल योजना को और अधिक सशक्त बनाने के लिए लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग (PHED) अपने स्वयं के सौर ऊर्जा संयंत्र लगाएगा। इन प्लांटों से विभाग का लक्ष्य 100 मेगावाट बिजली उत्पादन करने का है। इस ऊर्जा का इस्तेमाल स्वच्छ जल की आपूर्ति सुनिश्चित करने में किया जाएगा। इससे एक ओर जहां पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा, वहीं विभाग की बिजली पर निर्भरता भी कम होगी।