मैराथन विमर्श : भाजपा जल्द नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के नाम पर फैसला करना चाहती है। इसके लिए बीते दो दिनों से पार्टी कई राज्यों में नए प्रदेश अध्यक्ष तय करने को लेकर लगातार बैठकें कर रही है। उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, पश्चिम बंगाल और उत्तराखंड समेत आठ राज्यों में नाम तय करने की प्रक्रिया जारी है। पार्टी चाहती है कि प्रधानमंत्री की विदेश यात्रा और संघ की प्रांत प्रचारक बैठक से पहले ये फैसले हो जाएं। राष्ट्रीय अध्यक्ष को लेकर पार्टी और संघ में सहमति अब तक नहीं बनी है।
यूपी भाजपा अध्यक्ष पद के लिए इन नामों की चर्चा तेज
भाजपा की रणनीति उत्तर प्रदेश में नया प्रदेश अध्यक्ष ओबीसी या दलित वर्ग से चुनने की है। लोकसभा चुनाव में इन वर्गों का समर्थन कमजोर हुआ, इसलिए पार्टी तय नहीं कर पा रही कि किसे मौका दे। चर्चा में दलित वर्ग से रमाशंकर कठेरिया और विद्यासागर सोनकर हैं, जबकि ओबीसी से धर्मपाल सिंह, बीएल वर्मा, बाबूराम निषाद और साध्वी निरंजन जैसे नाम शामिल हैं। नेतृत्व ने इस पर नेताओं से राय ली है।
सहमति नहीं बनी तो अध्यक्ष चुनाव में लग सकता है वक्त
अगर प्रधानमंत्री के विदेश दौरे और संघ की प्रांत प्रचारकों की बैठक में सहमति नहीं बनी, तो राज्यों में प्रदेश अध्यक्षों के साथ राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव भी बिहार विधानसभा चुनाव तक टल सकता है। पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के खिलाफ महिला चेहरे पर जोर है, जिनमें लॉकेट चटर्जी और अग्निमित्रा पॉल के नाम शामिल हैं। कर्नाटक में सीटी रवि या सुनील कुमार को मौका मिल सकता है, जबकि मध्यप्रदेश में एससी-एसटी वर्ग से चार नामों पर विचार हुआ है।
नड्डा के उत्तराधिकारी को लेकर संशय बरकरार
राष्ट्रीय अध्यक्ष को लेकर संघ और भाजपा के बीच अब तक सहमति नहीं बन पाई है। वजह यह है कि संघ चाहता है कि यह जिम्मेदारी किसी ऐसे अनुभवी नेता को मिले जो सरकार और संगठन के बीच संतुलन बनाए रख सके। संघ का मानना है कि जाति, क्षेत्र या राजनीतिक लाभ के बजाय संगठन की मजबूती को प्राथमिकता दी जाए। इसी आधार पर संघ भविष्य में सरकार और संगठन में बदलाव की रूपरेखा भी तय करना चाहता है।