हिंदू धर्म में अमावस्या तिथि का विशेष महत्व है, खासकर पितरों की शांति और तर्पण के लिए। साल 2025 में मार्गशीर्ष महीने की अमावस्या 12 और 13 दिसंबर को मनाई जाएगी। ज्योतिष शास्त्र में इस दिन को पितृ दोष से मुक्ति पाने और पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना गया है।
मान्यता है कि इस दिन किए गए कुछ विशेष उपायों से जीवन में आ रही बाधाएं दूर होती हैं और परिवार में सुख-समृद्धि आती है। आइए जानते हैं मार्गशीर्ष अमावस्या की सही तिथि, स्नान-दान का मुहूर्त और पितृ दोष से मुक्ति के लिए किए जाने वाले अचूक उपायों के बारे में।
मार्गशीर्ष अमावस्या 2025: तिथि और मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष अमावस्या तिथि की शुरुआत 12 दिसंबर 2025, शुक्रवार को सुबह 08 बजकर 48 मिनट पर होगी। यह तिथि अगले दिन, यानी 13 दिसंबर 2025, शनिवार को सुबह 09 बजकर 47 मिनट पर समाप्त होगी।
हिंदू धर्म में उदया तिथि को अधिक महत्व दिया जाता है। इसलिए, स्नान, दान और तर्पण जैसे कार्य 13 दिसंबर को करना शास्त्र सम्मत और अधिक फलदायी माना जाएगा।
पितृ दोष से मुक्ति के 5 ज्योतिषीय उपाय
ज्योतिष विशेषज्ञों के अनुसार, मार्गशीर्ष अमावस्या पर कुछ सरल उपाय करके पितृ दोष के अशुभ प्रभावों को कम किया जा सकता है।
1. स्नान और तर्पण
अमावस्या के दिन किसी पवित्र नदी, सरोवर या कुंड में स्नान करना बेहद शुभ माना जाता है। यदि यह संभव न हो तो घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें। इसके बाद सूर्य देव को अर्घ्य दें और अपने पितरों का ध्यान करते हुए काले तिल मिलाकर जल से तर्पण करें। मान्यता है कि इससे पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।
2. पीपल वृक्ष की पूजा
शास्त्रों में पीपल के पेड़ को पूजनीय माना गया है और कहा जाता है कि इसमें पितरों का वास होता है। अमावस्या की शाम को पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं और अपने पूर्वजों से आशीर्वाद की कामना करें। संभव हो तो इस दिन एक पीपल का पौधा भी लगाएं। ऐसा करने से पितृ प्रसन्न होते हैं।
3. जरूरतमंदों को दान
इस दिन अपनी क्षमता के अनुसार किसी गरीब या जरूरतमंद व्यक्ति को अन्न, वस्त्र, जूते-चप्पल या कंबल का दान करना चाहिए। किसी ब्राह्मण को भोजन कराना भी पुण्यकारी माना गया है। इससे पितृ दोष का प्रभाव कम होता है।
4. जीव-जंतुओं को भोजन
मार्गशीर्ष अमावस्या पर गाय, कुत्ते, कौवे और चींटियों को भोजन कराना चाहिए। गाय को हरी घास, कुत्ते को रोटी, कौवे को खीर-पूरी और चींटियों को आटे में चीनी मिलाकर खिलाएं। माना जाता है कि इन जीवों के माध्यम से भोजन पितरों तक पहुंचता है।
5. पितृ सूक्त का पाठ
इस दिन शाम के समय घर की दक्षिण दिशा में एक दीपक जलाएं और पितृ सूक्त या पितृ गायत्री मंत्र का जाप करें। इससे पितर प्रसन्न होते हैं और परिवार को सुख, शांति और उन्नति का आशीर्वाद देते हैं। इन उपायों को करने से न केवल पितृ दोष से मुक्ति मिलती है, बल्कि जीवन में सफलता के मार्ग भी खुलते हैं।