Master Plan : आखिर इंदौर की तकदीर कब बदलेगी


राजेश राठौर
EXCLUSIVE

स्वतंत्र समय, इंदौर

मध्यप्रदेश सरकार के प्रशासनिक मुखिया की लगातार फटकार का असर भी टाउन एंड कंट्री प्लानिंग के अफसर पर नहीं हुआ। यही कारण है कि मार्च में आने वाला मास्टर प्लान ( Master Plan ) 10 अप्रैल तक भी नहीं आ सका। पहले ये कहा गया था कि 31 मार्च तक मास्टर प्लान आ ही जायेगा, बाद में 10 अप्रैल की तारीख सामने आयी, लेकिन कुछ नहीं हुआ।

Master Plan में 79 गांव के नक्शे पर लगाई थी रोक

जब मध्यप्रदेश नगर एवं ग्राम निवेश अधिनियम की धारा-16 के तहत लाखों-करोड़ों रुपए की रिश्वत लेकर भू-माफिया कालोनाइजरों के नक्शे मंजूर हो रहे थे, लगभग डेढ़ सौ नक्शे पास भी हो गए थे, तब से ‘दैनिक स्वतंत्र समय’ ने लगातार इस बात को लेकर अभियान चलाया। आखिर, क्या मजबूरी है कि धारा-16 का दुरूपयोग किया जा रहा है। इंदौर के मास्टर प्लान ( Master Plan ) में शामिल 79 गांव के नक्शे मंजूर करने पर रोक लगा दी थी। उसके बाद भोपाल डायरेक्टर टाउन एंड कंट्री प्लानिंग दफ्तर से धड़ाधड़ नक्शे पास होने लगे। ‘दैनिक स्वतंत्र समय’ अखबार की खबरों की गूंज भोपाल से लेकर दिल्ली तक पहुंची। उसके बाद मुख्य सचिव अनुराग जैन ने अफ़सरों को फ़टकारा, उनसे कहा कि आखिर धारा-16 में नक्शे पास क्यों हो रहे हैं, तत्काल रोक लगाई जाए। जो लगभग ढाई सौ प्रस्ताव नक्शे मंजूरी के लिए पेंडिंग थे वो रोक दिए गए, अब मास्टर प्लान आने का सबको इंतजार है। वैसे सरकारी अफ़सर जो भी काम करते हैं उसकी तारीख नहीं बता पाते हैं। इंदौर के मास्टर प्लान को लेकर सभी दूर इस बात की चर्चा है कि ऐसी कौन सी ‘राजनीतिक और प्रशासनिक मजबूरी’ है जिसके कारण मास्टर प्लान नहीं आ रहा है। अफ़सर वैसे भी जो काम पहले करना चाहिए वो बाद में करते हैं। प्रापर्टी में आई मंदी के कारण इन्वेस्टर सोच रहे थे कि यदि मास्टर प्लान आयेगा तो प्रापर्टी के कुछ भाव बढ़ सकते हैं। नहीं तो कम से कम जो प्रापट्र्रियां बिकना बंद हो गई हैं वो बिक जायेंगी। अब सब के सब हाथ पर हाथ धरकर बैठे हुए हैं कि आखिर मास्टर प्लान आ जाए तो कुछ शहर का भला हो जाए। इंदौर का विकास जो लंगड़ा हो रहा है उसका आपरेशन हो जाए, विकास को गति मिले, बाकी तो राम जाने…जय महाकाल।