राजेश राठौर
EXCLUSIVE
इंदौर विकास प्राधिकरण के पास पैसा तो बहुत है लेकिन वहां बैठने वाले अधिकांश अफसरों की बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है। जो इंजीनियर सुबह से लेकर रात तक हराम का पैसा इकट्ठा करने के लिए जुगाड़ में लगे रहते हैं, उनसे मेजर रोड, फ्लाई ओवर, एलिवेटेड रोड जैसे अच्छे कामों की उम्मीद करना मज़ाक है। जब मास्टर प्लॉन ( Master plan ) बन जाता है तो फिर उस पर अमल़ करने का ठेका किसका है, इसकी कोई गारंटी नहीं होती, बेचारे जनप्रतिनिधियों की बात तो करना गुस्ताख़ी होगी जो दिन भर अपने स्वार्थ के लिए जीते हैं।
पुराने Master plan में मेजर रोड बनाने की थी बात
जब पुराना मास्टर प्लॉन ( Master plan ) लागू हुआ था, तब मेजर रोड बनाने की बात कही थी, नया रिंग रोड प्रस्तावित किया गया था, शहर में कई फ्लाई ओवर और एलिवेटेड ब्रिज बनाने की बात हुई थी, तब ये कहा गया था कि पांच साल में ये सारे काम हो जाएंगे। अभी तक पच्चीस साल बाद भी एक भी सडक़ नहीं बन पाई। जो सडक़ें शहरी क्षेत्र की मास्टर प्लॉन के हिसाब से चौड़ी करना थीं, वह भी अभी तक पूरी नहीं बनी। जो सडक़ें बनी भी हैं तो उनमें बाधक ‘धर्मस्थल’ नहीं हट पाए हैं। हाथी के पैर की तरह बिजली के खंभे खड़े हुए हैं। जो सडक़ें अधूरी हैं, उनको बनाने वाले ठेकेदार भाग गए। यदि शहरी क्षेत्र का विकास मास्टर प्लॉन के हिसाब से हो जाता तो, लोगों को मजबूरी में शहर से दूर जाकर अवैध कॉलोनियों में नहीं रहना पड़ता। यदि मास्टर प्लॉन बनने के बाद योजना को जमीन पर उतारने का काम अकेला इंदौर विकास प्राधिकरण कर देता तो इंदौर का लंगड़ा विकास नहीं होता। अब नए मास्टर प्लॉन की बात कही जा रही है, लेकिन लगता नहीं है कि जो प्लॉन किए जाएंगे उस पर वास्तव में काम होगा या नहीं। इंदौर में जमीनों के भाव में आई गिरावट का कारण यह भी है कि मास्टर प्लॉन के हिसाब से यदि इंदौर का विकास होता तो इंदौर एक विकसित शहर की तरह दिखाई देता।
जवाबदार के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं
मास्टर प्लॉन ( Master plan ) नया लागू करने में हो रही देरी के कारण भी जमीनों के भाव जो आसमान छू रहे थे वो अब गड्डे में चले गए हैं। नया मास्टर प्लॉन लाने के साथ ये भी तय होना चाहिए कि कौन सा काम नगर निगम और कौन सा विकास प्राधिकरण करेगा। जब तक जबावदारी तय नहीं होगी तब तक ‘चांद पर प्लॉट काटने’ की तर्ज पर विकास के दावे भी हवा में तैरते रहेंगे। नया मास्टर प्लॉन लागू करने के साथ ही सरकार को इस बात की भी समीक्षा करनी चाहिए। पुराने मास्टर प्लॉन में जो काम होना थे, यदि वो नहीं हुए तो फिर जबावदार के खिलाफ सरकार ने कोई कार्रवाई क्यों नहीं की। सरकार चाहे तो विकास के झूठे सपने दिखाने वाले अफसरों को भी जेल भेज सकती है। किसी भी शहर के विकास के साथ मजाक करने वाला अफसर एक तरह से विकास का बलात्कारी होता है, जो योजनाओं का चीर-हरण करता है। विकास के दुश्मन अफसर इंदौर शहर को लंगड़ा बनाकर करोड़ों रूपए रिश्वत खाकर दूसरी जगह चले जाते हैं, लेकिन उनके खिला$फ सरकार चींटी मारने जैसी कार्रवाई भी नहीं करती।