Master plan में खेल : आदिवासी और बनिये के शिकंजे में इंदौरी भूमाफिया

राजेश राठौर
EXCLUSIVE

स्वतंत्र समय, इंदौर

नए मास्टर प्लॉन ( Master plan ) में नए तरीके का जो खेला सामने आया है, उसमें पता चला है कि 79 गांव जो नए मास्टरप्लॉन में आने वाले हैं, वहां पर कौन सी जमीन ग्रीनबेल्ट में डालना और कौन सी जमीन आवासीय और कमर्शियल करना, ये सब इंदौर के एक आदिवासी और बनिये अफसर के हाथ में है। जो जमीन मालिकों को बुला-बुलाकर उनकी जमीनों के उपयोग की जानकारी दे रहे हैं। इस खेल में टाउन एंड कंट्री प्लानिंग विभाग के भोपाली ‘बनेठी महाराज’ भी शामिल हैं।

नए Master plan जमीन का उपयोग बदला जा रहा है

नए मास्टर प्लॉन ( Master plan ) आने के पहले सबकी जुब़ान पर ये चर्चा है कि पुराने मास्टर प्लॉन में शामिल ग्रीनबेल्ट वाली जमीन का उपयोग बदला जा रहा है या नहीं। लेकिन वास्तविक खेला जो हो रहा है, वो तो नए 79 गांव और बनने वाले अहिल्यापथ के आसपास हो रहा है। अभी जो खबर सामने आ रही है, उसके मुताबिक तो 79 गांव में शामिल हिंगोनिया गांव की है, इस पूरे गांव की जमीन को आवासीय, कमर्शियल और पब्लिक, सेमी पब्लिक उपयोग के लिए निर्धारित कर दिया है। आदिवासी और बनिये अफसर ने मिलकर पूरे हिंगोनिया में से ग्रीनबेल्ट हटा दिया है। काय़दा यह कहता है कि हर गांव और बड़े इलाके में अनुपात के हिसाब से जमीनें ग्रीन बेल्ट में डालना चाहिए। यदि पूरे एक गांव को ग्रीनबेल्ट से मुक्त कर दिया तो वहां बसने वाले लोग शुद्ध हवा कैसे ले सकेंगे। नए मास्टरप्लॉन के एरिये में शामिल 79 गांव और अहिल्यापथ के आसपास समान अनुपात में जमीन का उपयोग निर्धारित करना चाहिए। इस खास मुद्दे पर इंदौर के विशेषज्ञ काम कर रहे हैं। जैसे ही मास्टर प्लॉन के प्रारूप का प्रकाशन हो जायेगा, वैसे ही विशेषज्ञ इस बात पर आपत्ति लेंगे कि जमीनों का उपयोग अफसरों ने करोड़ों रूपए लेकर चाहे जो कर दिया, या फिर ईमानदारी से अनुपात के हिसाब से जमीन का उपयोग तय किया है, ये देखना जरूरी है। इसी बात को लेकर कुछ लोग अभी से कोर्ट जाने की तैयारी भी कर रहे हैं। मध्यप्रदेश के ईमानदार मुख्यसचिव अनुराग जैन को इस बात का विशेष तौर पर ध्यान देना पड़ेगा, नहीं तो आदिवासी और बनिया अफसर ‘बनेठी महाराज’ के साथ मिलकर चाहे जहां, चाहे जो, जमीन का उपयोग तय ना कर दें। वैसे खबर है कि मास्टरप्लॉन 10 अप्रैल तक आ सकता है। कोर्ट की तारीख की तरह मास्टरप्लॉन आने की तैयारी भी बार-बार बदलती जा रही है। इंदौरी भू-माफियाओं ने अफसरों की मिलीभगत से इस तरह के काम पहले भी किए हैं, उसी के कारण इंदौर की प्रापर्टी का मार्केट लगातार डूबता जा रहा है। इंदौर में कई कालोनियों में प्लाट खरीदने वाले लोग नहीं मिल रहे हैं। डायरियां तो वैसे भी कागज का टुकड़ा बनकर रह गई हैं।