बेेफिक्र होकर करें MD MS अब नहीं निकलेगी doctor बनने की उम्र

स्वतंत्र समय, भोपाल

एमबीबीएस के बाद नौकरी करें या पीजी (पोस्ट ग्रेजुएशन) की उधेड़बुन अब नहीं रहेगी। डॉक्टर्स ( doctor ) बैफिक्र होकर एमडी-एमएस ( MD MS ) अथवा सुपर स्पेशियलिटी के कोर्स में समय दे सकते हैं। कोर्स पूरा करते-करते न तो वे ओवरएज होंगे और न सरकारी नौकरी हाथ से निकल सकेगी। सरकार मेडिकल टीचर्स के खाली पदों को भरने के लिए अधिकतम आयु 50 साल करने जा रही है। इससे सरकार को भी अपने पद भरने के लिए ज्यादा माथापच्ची नहीं करना पड़ेगी।

doctor की कमी से जूझ रही राज्य सरकार

असल में मेडिकल कॉलेजों में चिकित्सकों ( doctor ) और फैकल्टी की कमी से जूझ रही राज्य सरकार असिस्टेंट प्रोफेसरों की भर्ती में अधिकतम आयु 40 से बढ़ाकर 50 साल करने जा रही है। स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री राजेंद्र शुक्ला ने इस मामले में पहल करते हुए विभाग को दिशा निर्देश दिए थे। इस पर विभाग ने अधिकतम आयु में 10 साल की छूट देने का प्रस्ताव बना लिया है। चिकित्सा शिक्षा संचालनालय ने यह प्रस्ताव जीएडी को भेज भी दिया है। अब इस मामले में कैबिनेट की मंजूरी का इंतजार है। प्रस्ताव के तहत प्रदेश के मेडिकल कालेजों में होने वाली असिस्टेंट प्रोफेसरों की भर्ती में 10 साल की छूट मिल सकेगी। फिलहाल अनरिजव्र्ड कैटेगिरी में अधिकतम आयु 40 साल रहती है। जबकि महिला और आरक्षित वर्ग को 5 साल की छूट दी जाती है। बावजूद इसके विभाग में डॉक्टर्स और मेडिकल टीचर्स के पद बड़ी संख्या में खाली ही रहते हैं। विशेषज्ञ चिकित्सक न मिलने के कारण सबसे ज्यादा दिक्कत छोटे जिलों में होती है, जहां तमाम कोशिशों के बाद भी सरकार डॉक्टर्स उपलब्ध नहीं करा पाती है।

मेडिकल कालेजों में भी तंगी

राज्य सरकार हर जिले में मेडिकल कालेज खोलना चाह रही है। धड़ाघड़ घोषणाएं भी मुख्यमंत्री और मंत्री कर रहे हैं, लेकिन कालेजों के लिए विशेषज्ञ चिकित्सक ही नहीं मिल पा रहे हैं। इसके चलते हाल ही में सरकार को 5 में से केवल 3 कालेजों की अनुमति ही मिल सकी। फैकल्टीज की कमी के कारण एमसीआई ने मान्यता देने से मना कर दिया।

ओवर ऐज की चिंता के बीच पीजी की मजबूरी

मेडिकल कॉलेज के टीचर्स के पदों पर भर्ती के लिए अधिकतम आयु 40 वर्ष है। जबकि मेडिकल की पढ़ाई महंगी होने के साथ-साथ टाइम भी लेती है। इसकी वजह है पीजी की सीटों की संख्या। एमबीबीएस के बाद पीजी करने में टाइम लग जाता है। पीजी करते-करते डाक्टरों की उम्र 32 पार हो जाती है। पीजी के बाद सभी को बांड पीरिएड भी तक गांव और कस्बों में सेवाएं देना पड़ती हैं। इसके बाद किसी का सिलेक्शन सुपर स्पेशियलिटी में हो जाता है तो 4 साल और लग जाते हैं। कई बार पढ़ाई पूरी होने के बाद नौकरी के इंतजार में भी कुछ साल निकल जाते हैं। इससे असिस्टेंट प्रोफेसर बनने की उम्र ही निकल जाती है। सरकार अधिकतम आयु 10 साल बढ़ा देती है तो रेजीडेंस डॉक्टर्स का पीरिएड पूरा कर कई युवा असिस्टेंट प्रोफेसर के पद के लिए एप्लाई कर सकेंगे। उम्र आड़े नहीं आएगी।

अब कैबिनेट की मंजूरी का इंतजार

चिकित्सा शिक्षा मंत्री शुक्ल मेडिकल कालेजों की फैकल्टीज को लेकर काफी गंभीर है। इसलिए जल्द ही यह प्रस्ताव कैबिनेट में भी आ जाएगा। विभाग इस मामले में एक बार झटका खा चुका है, इसलिए विभागीय मंत्री ने इस बार पुरानी कमियों को ध्यान में रखते हुए प्रस्ताव बनवाया है। इससे विभाग के अधिकारी भी प्रस्ताव को मंजूरी मिलने को लेकर आशांवित हैं। इससे सरकार को भी राहत मिल सकेगी। वैसे भी अगले सालों में प्रदेश में पीपीपी मोड पर कुछ और मेडिकल कालेज खोले जाने की तैयारी है।