कलेक्टोरेट जनसुनवाई में मध्यस्थता समिति ने सुलझाए पारिवारिक विवाद, पुनः बसे कई बिखरे परिवार

कलेक्टोरेट कार्यालय में आयोजित जनसुनवाई के दौरान मध्यस्थता समिति द्वारा विभिन्न पारिवारिक विवादों का सफलतापूर्वक समाधान किया गया। पति-पत्नी, ससुर, मां-बेटे और दो बहनों के बीच वर्षों से चल रहे मतभेदों को मध्यस्थता के माध्यम से सुलझाते हुए कई परिवारों को पुनः एकजुट किया गया।

यह महत्वपूर्ण कार्य मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय के प्रमुख प्रशासनिक न्यायाधिपति विवेक रूसिया एवं मास्टर ट्रेनर पूर्व प्रधान न्यायाधीश डॉ. मो. शमीम के मार्गदर्शन में गठित मध्यस्थता समिति द्वारा संपादित किया गया। कलेक्टर आशीष सिंह, एडीएम रोशन राय, एवं मध्यस्थता प्रभारी डिप्टी कलेक्टर विजय मंडलोई के निर्देशन में यह प्रक्रिया सम्पन्न हुई।

समन्वयक दिलीप गर्ग (सर्वसमाज सामुदायिक मध्यस्थता सेवा समिति, महानगर) ने बताया कि मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा प्रशिक्षित मध्यस्थ – हेमराज वाडिया, पुरुषोत्तम यादव, जहांगीर खान, नवीन चौधरी तथा आदित्य पंडित ने 2 से 3 सुनवाइयों में 5 जटिल पारिवारिक प्रकरणों का समाधान किया।

प्रमुख प्रकरणों की जानकारी:

दो बहनों के बीच मकान विवाद: लगभग 2-3 वर्षों से चली आ रही संपत्ति संबंधी उलझन का समाधान किया गया, जिसमें बड़ी बहन ने अपनी छोटी बहन को मकान सौंपकर समझौता किया।

पति-पत्नी और ससुर के बीच वैमनस्य: जनवरी माह से चली आ रही पारिवारिक खटास को सुलझाकर दोनों पक्षों को परिजनों की उपस्थिति में आपसी समझौते के साथ विदा किया गया।

मां-बेटों में दरार: एक मां अपनी बेटों से अलग होना चाहती थी, परंतु समिति की समझाइश के बाद मां-बेटे प्रेमपूर्वक साथ कार्यालय से रवाना हुए।

पति-पत्नी के बीच तलाक का विवाद: पति की मां और दादी की शिकायत के आधार पर प्रारंभ हुए मामले में बहू ने तलाक की इच्छा जताई थी। मध्यस्थता समूह द्वारा समझाइश देने के उपरांत दोनों पक्षों ने सुलह कर सुखमय जीवन व्यतीत करने का निर्णय लिया।

सभी मामलों में आपसी सहमति से स्टाम्प पेपर पर समझौता कराया गया और मध्यस्थता प्रभारी डिप्टी कलेक्टर विजय मंडलोई द्वारा संबंधित पक्षों को दस्तावेज सौंपे गए। इस अवसर पर मध्यस्थता कक्ष के सुनील टंडन एवं अश्लेषा दरवाई का सहयोग भी सराहनीय रहा।