दो साल में 18 जिलों में खुलेंगे Medical college

स्वतंत्र समय, भोपाल

मप्र में दो साल के अंदर 18 मेडिकल कॉलेज ( Medical college ) खोले जाएंगे। केंद प्रवर्तित योजना के तहत छह जिलों में कॉलेज शुरू होंगे। वहीं राज्य प्रवर्तित योजना के पहले चरण चार और दूसरे चरण में सात जिलों में सरकारी मेडिकल कॉलेज शुरू होंगे। वहीं जिला अस्पतालों को पीपीपी मोड पर देकर मेडिकल कॉलेज खोलने के निर्णय के 15 दिन में ही सरकार ने तीन जिलों में कॉलेज खोलने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी है। पहले चरण में कटनी, पन्ना और मुरैना में कॉलेज खोले जाएंगे। हर जगह शुरुआत में एमबीबीएस की 100 सीट रहेंगी। गौरतलब है कि पिछले कुछ सालों के दौरान प्रदेश के 14 जिलों में मेडिकल कॉलेज खोले जा चुके हैं। वहीं अब 18 जिलों में सरकारी मेडिकल कॉलेज खोले जाएंगे। लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग ने इसके लिए निवेशकों (निजी भागीदार) से आफर बुलाए हैं। मई में निवेशकों का चयन का काम पूरा हो जाएगा। अब यह देखना होगा कि निजी भागीदार इसमें कितनी रुचि दिखाते हैं। मौजूदा जिला अस्पतालों का उन्नयन कर मेडिकल कॉलेज खोले जाएंगे। जिला अस्पताल कम से कम 300 बिस्तर के होंगे। यहां ओपीडी और पहले से चल रही निश्शुल्क जांचों की सुविधा पीपीपी मोड पर भी मिलती रहेगी।

प्रायोगिक तौर पर खोले जा रहे तीन Medical college

उल्लेखनीय है कि सरकार ने चार मार्च को ही पीपीपी मोड पर मेडिकल कॉलेज ( Medical college ) खोलने का निर्णय लिया था। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने बताया कि पीपीपी मोड की परियोजनाओं के संबंध में वर्ष 2010 के परिपत्र में स्पष्ट किया है कि दो या तीन जगह पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर परियोजना का संचालन किया जाए। प्रयोग सफल रहने पर ही अन्य जगह लागू किया जाए। इसी कारण अभी सिर्फ तीन अस्पतालों को लिया गया है। तीनों जगह अभी कोई मेडिकल कालेज नहीं है। उल्लेखनीय है कि अभी भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर, रीवा, सागर, शहडोल, विदिशा, रतलाम, दतिया, खंडवा, शिवपुरी, छिंदवाड़ा और सतना में सरकारी मेडिकल कॉलेज चल रहे हैं। वहीं केंद प्रवर्तित योजना के तहत मंदसौर, नीमच, राजगढ़, सिंगरौली, श्योपुर और मंडला में दो वर्ष में कॉलेज शुरू होंगे। वहीं राज्य प्रवर्तित योजना के पहले चरण के तहत सिवनी, छतरपुर, बुधनी, उज्जैन, दमोह, राज्य प्रवर्तित योजना के दूसरे चरण के तहत खरगोन, धार, मुरैना, भिंड, बालाघाट, टीकमगढ़ और सीधी में दो साल में सरकारी मेडिकल कॉलेज मिलेंगे।

निजी निवेशक चलाएंगे कॉलेज

पीपीपी मोड पर बनने वाले इन मेडिकल कॉलेजों का निर्माण, संचालन और संधारण निजी निवेश करेगा। साथ ही जिला अस्पताल का नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) के मापदंडों के अनुसार उन्नयन एवं संचालन करेगा। हर विशेषज्ञता में उपलब्ध कुल बिस्तर में से 75 प्रतिशत नि:शुल्क रोगियों के लिए रहेंगे। शेष 25 प्रतिशत पर निजी भागीदार शुल्क ले सकेगा। जिला अस्पताल और मेडिकल कालेज के लिए कर्मचारियों की व्यवस्था भी उसे करनी होगी। 10 से 30 वर्ष के लिए उसे यह काम सौंपा जाएगा।

आचार संहिता में अटकी 190 शराब ठेकों के समूहों की नीलामी

मध्य प्रदेश में नए वित्तीय वर्ष से नए शराब के ठेकों की प्रक्रिया के बीच लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लागू होने से 190 शराब ठेकों के समूहों की नीलामी अटक गई है। ई-टेंडर के तीन चरण पूरे होने के बाद चतुर्थ चरण से 190 समूहों की नीलामी की प्रक्रिया की गई है, लेकिन चुनाव आयोग की अनुमति नहीं मिलने पर टेंडर नहीं खोले गए हैं। हालांकि, आबकारी विभाग ने मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित स्क्रीनिंग कमेटी में इसका प्रस्ताव प्रस्तुत कर चार दिन पहले ही चुनाव आयोग को अनुमति के लिए प्रस्ताव भेज दिया है। अब वहां से अनुमति मिलने के बाद ही आगे की कार्यवाही की जाएगी। दरअसल, आचार संहिता में मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के माध्यम से भारत निर्वाचन आयोग को प्रेषित किए जाने वाले विभागों के प्रस्ताव का परीक्षण /अनुशंसा करने के लिए स्क्रीनिंग कमेटी का गठन मुख्य सचिव की अध्यक्षता में किया गया है। स्क्रीनिंग कमेटी को विभाग को अपने प्रस्ताव में यह भी औचित्य दर्शाना होता है कि प्रस्ताव क्यों अत्यंत महत्वपूर्ण है और निर्वाचन प्रक्रिया पूरी होने तक इसे क्यों नहीं रोका जा सकता है। चूंकि शराब ठेकों की अवधि 31 मार्च को पूरी हो रही है इसलिए नीलामी कर नए सिरे से ठेेके दिए जाने हैं।
इस प्रक्रिया की अनिवार्यता का हवाला देकर आबकारी विभाग ने आयोग से इसके लिए अनुमति मांगी है।