महिला – पुरुष , बूढ़े – जवान और बच्चे बेख़ौफ़ त्रिवेणी में डुबकी लगा रहे हैं…एक सौ चवालीस साल बाद आने वाले महाकुंभ में भाग्य जगा रहे हैं…

प्रखर – वाणी

प्रयाग में नित्य अनुराग और भक्तिराग चल रहा है…भारत ही नहीं दुनिया के चप्पे – चप्पे से भक्त मानस संगम में डुबकी हेतु मचल रहा है…अपार भीड़ और अनुशासित व्यवस्था धर्म यात्रा पर आकर्षण का कारक है…संगम तट पर जिन्होंने सहज स्नान किया वो ही बन गए प्रचारक हैं…प्रशंसनीय इंतजाम के बीच महाकुंभ में भीड़ आगमन लाजमी है…हर तरह से प्रशासन तैयार है नहीं कहीं कोई कमी है…हजारों की संख्या में नाव असंख्य यात्रियों को संगम ले जा रही है…किसी भी तरह की दुर्घटना न हो इसलिए सुरक्षाडलों की बोट भी सरपट बह रही है…महिला – पुरुष , बूढ़े – जवान और बच्चे बेख़ौफ़ त्रिवेणी में डुबकी लगा रहे हैं…एक सौ चवालीस साल बाद आने वाले महाकुंभ में भाग्य जगा रहे हैं…शाम होते ही दुधिया रोशनी की चमक रात्रि का एहसास नहीं होने देती…लाउड स्पीकर से सतत सूचना और हर जगह सहायता केन्द्र किसी को नहीं खोने देती…वो मिथक अब टूट गया जिसमें उक्ति होती थी कि इस कुंभ में खोए तो अगले कुंभ में मिलोगे…हर स्थान पर तीसरी आंख आपको निहार रही कहीं रास्ता नहीं भूलोगे…स्थानीय दुपहिया वाहन और ई-रिक्शा वाहन चालक खूब खुश हैं…पसीना बहाने के साथ ही उनको जोरदार मिल रहा मेहनताने का पुश है…दैनिक दरों से ज्यादा वसूली जरूर कर रहे हैं जो समसामयिक सुविधा है…लम्बी दूरी तक चलने और थककर चूर हो जाने वालों की इससे मुक्त होती दुविधा है…कई किलोमीटर तक नैया का चप्पू चलाते खेवैया है…मनमाफिक दाम लेकर वर्षों की आय दिनों में पूर्ण करते केवट भैया है…उत्तरप्रदेश खाने के मामले में वैसा ही है जैसा पहले था याने

स्वादहीन…पुलिस प्रशासन इतना चुस्त दिखा जिससे नहीं हुआ इतने दिनों में कोई अपराध संगीन…भीड़ के आने के बाद सबसे ज्यादा कठिन है उस पर नियंत्रण…इतने दिनों तक करोड़ों लोगों के आगमन पर भी सरल रहा माकूल प्रबंधन…योगी बेशक योग से ही नहीं मनोयोग से भी समृद्ध हैं…ठान ले तो हर अव्यवस्था के विरुद्ध छेड देते अपनी शक्ति का युद्ध है…सनातन संस्कृति के महापर्व को गर्व के साथ आसान बनाने वाले वो ही है…सच मानें तो हिन्दुओं के संरक्षक भारत में श्रेष्ठतम राजनीतिक किरदार दो ही हैं ।