महापौर की कलम से
नमस्कार मेरे इंदौरवासियों, यह कोई साधारण दिवस नहीं, यह एक सपने के साकार होने का क्षण है। वर्षों की प्रतीक्षा, अनगिनत प्रयासों, और अपार धैर्य के बाद आज हमारा इंदौर विकास की एक नई रेखा खींचने जा रहा है। 31 मई का दिन इतिहास में अंकित हो जाएगा – जब हमारे देश के यशस्वी प्रधानमंत्री, श्री नरेंद्र मोदी जी के करकमलों से इंदौर मेट्रो का शुभारंभ होगा। यह केवल एक ट्रेन का चलना नहीं है, यह इंदौर की उम्मीदों का परवाज है, यह हमारी मेहनत, हमारी लगन और हमारे संकल्प की पहचान है।
मेट्रो की हर धड़कती पटरी हमें याद दिलाएगी कि विकास केवल ईंट और पत्थरों का ढांचा नहीं होता – वह होता है सपनों का पुल, जो हमारी पीढ़ियों को जोड़ता है, हमारी खुशहाली की रफ्तार को बढ़ाता है, और हमारे बच्चों को एक बेहतर भविष्य की राह दिखाता है।
मित्रों, इस उपलब्धि का श्रेय सबसे पहले मां अहिल्या के आशीर्वाद को है – और फिर आप सभी इंदौरवासियों के अथक परिश्रम, अडिग निष्ठा और विकास के प्रति गहन समर्पण को। स्वच्छता की मशाल थामकर, हरियाली की छांव में पनपते हुए, अब हम मेट्रो युग की ओर बढ़ रहे हैं – और यह हमारी साझा यात्रा है।
किन्तु साथियों, मेट्रो केवल सुविधा नहीं है – यह हमारी जिम्मेदारी भी है। सरकार संसाधन जुटा सकती है, लेकिन उनकी सुरक्षा और मर्यादा का निर्वहन करना हम नागरिकों का धर्म है।मेट्रो के शुरुआती दिनों में यात्रा नि:शुल्क रहेगी – और मैं जानता हूं, आप सभी इसे अनुभव करने के लिए उत्साहित हैं। लेकिन इसी उत्साह में, हमें एक क्षण को भी नहीं भूलना चाहिए कि यह धरोहर हम सभी की है।मेट्रो स्टेशन, प्लेटफॉर्म, एस्केलेटर, टिकट काउंटर, स्वचालित दरवाजे – ये सब केवल ढांचे नहीं हैं, ये हमारी सभ्यता के प्रतिबिंब हैं।हर सफर एक संस्कार है। हर नियम एक आस्था है। हर सावधानी एक जिम्मेदारी है।
आपसे करबद्ध प्रार्थना है – यात्रा के दौरान मेट्रो के निर्देशों का पालन करें, उद्घोषणाओं को ध्यान से सुनें, कर्मचारियों के निर्देशों का सम्मान करें। कोई भी ऐसा कार्य न करें, जो आपकी या किसी अन्य की सुरक्षा के लिए जोखिम बने। जो लोग सड़क से मेट्रो को निहारेंगे, वे भी सजग रहें, कोई ऐसा कदम न उठाएं जो मेट्रो की सुरक्षा को खतरे में डाले।
याद रखिए, देशभक्ति केवल तिरंगे को सलामी देने में नहीं है, बल्कि अपनी धरती की हर संपत्ति को, हर संसाधन को सम्मान देने में भी है। मेट्रो की हर कोच, हर दरवाजा, हर स्टेशन – आपका अपना है। यह केवल लोहे का ढांचा नहीं, आपकी आत्मा का विस्तार है।
मुझे पूरा विश्वास है – जैसा की स्वच्छता और हरियाली में इंदौर ने देशभर में परचम लहराया, वैसे ही मेट्रो यात्रा के अनुशासन और जिम्मेदारी में भी हम उदाहरण प्रस्तुत करेंगे।
आइए, हम सब मिलकर इस नवयुग का स्वागत करें – मेट्रो की पहली घंटी पर प्रगति का शंखनाद करें।
हमारा इंदौर, हमारा स्वाभिमान – और अब, हमारी मेट्रो।
इसी मंगलकामना के साथ,
जय हिंद!
आपका अपना,
पुष्यमित्र भार्गव
महापौर, इंदौर