Millionaire public servant और अधनंगी जनता


लेखक
राकेश अचल

क्या आजादी के 77 साल बाद भी ये लोकतंत्र केवल और केवल धनपतियों ( Millionaire public servant ) के लिए है। आम आदमी की इसमें हिस्सेदारी की मुमानियत है ? बात राजनीयति के इर्दगिर्द ही रहती है । रहना भी चाहिए, क्योंकि मुद्दा है जहां, राजनीति है वहां। आज का मुद्दा है कि दो जून रोटी के लिए सरकार पर निर्भर 130 करोड़ कि आबादी वाले विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र नगर में जनसेवक किसे होना चाहिए और किसे नहीं ?

आज Millionaire public servant मुद्दे पर बात की जाए

लोकसभा चुनाव के चार चरणों के बाद प्रत्याशियों की मालिई हालत के बारे में पढ़-सुनकर मन हुआ कि आज इसी मुद्दे पर बात की जाए । हम हैरान हैं, जग हैरान है कि पिछले एक दशक से देश के भाग्य विधाता बने काशी यानी बनारस के भाजपा प्रत्याशी के पास कुल जमा ले-देकर  3 करोड़ की सम्पत्ति है। जिला निर्वाचन अधिकारी के यहां नामांकन पात्र के साथ नास्ति किये गए हलफनामे के मुताबिक भाजपा प्रत्याशी श्री नरेंद्र मोदी जी के पास 2022-23 में कुल आमदनी 23 लाख 56 हजार 080 रुपये थी। मोदी की कुल संपत्ति 3 करोड़ 02 लाख 06 हजार 889 है। जाहिर है कि मोदी जी ने दस साल में खुद कुछ नहीं खाया भले ही तमाम लोगों को खाने दिया और देश से बाहर जाने दिया
मोदी जी के प्रमुख प्रतिद्वंदी और रायबरेली से लोकसभा का चुनाव लड़ रहे राहुल गांधी के पास 20 करोड़ रूपये कि सम्पत्ति है। अकेले वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान कुल आमदनी 1 करोड़ 2 लाख और 78 हजार रुपये थी। राहुल गांधी के पास 9 करोड़ से अधिक की चल संपत्ति और 11 करोड़ से अधिक की अचल संपत्ति है। निश्चित तौर पर मोदी जी कि विरासत राहुल की विरासत से न केवल सियासत के मामले में बल्कि पैसे के मामले में भी कमजोर है ,फिर भी देश-दुनिया में मोदी जी का जोर है। मजे की बात ये है कि एक आदमी पिछले दस साल में हवाई जहाज से नीचे नहीं उतरा और दुसरे ने पूरा मुल्क पैदल नापने के अलावा कोई काम नहीं किया फिर भी दोनों करोड़पति है। भारत के लोकतंत्र में ही ये मुमकिन है।
मेरे पास हालाँकि देश के तमाम नाम-चिन्ह नेताओं यानि जनसेवकों की सम्पत्ति का व्यौरा है। लेकिन मै सबका जिक्र नहीं कर सकता । आपकी दिलचस्पी है तो आप केंचुआ की वेबसाइट पर जाकर सभी कि कुंडली हंगाल सकते हैं। मै तो केवल उन प्रत्याशियों का हवाला दे रहा हूँ जो अकूत सम्पत्ति के मालिक हैं फिर भी चुनाव लडक़र जनता की सेवा करना चाहते हैं। इन करोड़पति जनसेवकों के प्रति हम गरीबों का मन कृतग्यता से लबालब है। सोचता हूँ कि यदि ये अरबपति,करोड़पति और लखपति जनसेवक न होते तो इस देश के लोकतंत्र का जनता का क्या होता ?
जनसेवा का व्रत लेकर रजतपट की बदनाम दुनिया से सियासत में कदम रखने वाली कंगना रनौत को उसी तरह वालीवुड की क्वीन कहा जाता है जैसे किसी जमाने में फूलनदेवी को बैंडिट क्वीन कहा जाता था। दोनों कि अपनी सुंदरता है और अपनी-अपनी फैन फॉलोइंग है। फूलन को जाने दीजिये क्योंकि वे अब किसी स्वर्ग में विराजती हैं लेकिन हिमाचल के मंडी लोकसभा क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी कंगना जी कम से कम 90 करोड़ रूपये की मालकिन है। इतना धन लोकतंत्र में लोकसेवा किये बिना भी कमाया जा सकता है ,वो भी केवल अपनी कला के बूते पर। कंगना राजनीति में आकर घाटे का सौदा कर रहीं है या नहीं ये भगवान जाने लेकिन देश को जानना चाहिए कि कंगना के पास क्या है और क्या नहीं है ?
12वीं पास बॉलीवुड अभिनेत्री और बीजेपी कैंडिडेट कंगना रनौत के पास कैश 2 लाख रुपये है और तमाम बैंक खातों, शेयरों-डिबेंचर्स और ज्वैलरी समेत अन्य को जोडक़र आलीशान घर, गाडिय़ां और जूलरी के अलावा एक्ट्रेस के पास बैंक में भी करोड़ों रुपए जमा हैं. कंगना के कुल 8 बैंक अकाउंट हैं। लेकिन आजतक किसी ईडी या सीबीआई ने कंगना के बैंक खाते नहीं खंगाले क्योंकि उन्होंने राजनीयति से नहीं अपने परिश्रम से कमाया है।
कंगना ने हलफनामा देकर जिला निर्वाचन अधिकारी को बताया है कि उनके पास 91.50 करोड़ रुपए की संपत्ति है। आलीशान घर, गाडिय़ां और जूलरी के अलावा एक्ट्रेस के पास बैंक में भी करोड़ों रुपए जमा हैं. मुंबई में कंगना के अलग-अलग बैंक खाते में ढाई करोड़ से ज्यादा रुपए मौजूद हैं। कंगना रनौत के पास मुंबई में 7 और मंडी में एक, यानी कुल आठ बैंक अकाउंट हैं, जिनमें कुल मिलाकर 2 करोड़ 55 लाख 86 हजार 468 रुपए जमा हैं. आईडीबीआई बैंक में एक्ट्रेस के दो खाते हैं जिनमें से एक में एक करोड़ सात लाख और दूसरे में 22 लाख जमा है। कंगना का बैंक ऑफ बड़ौदा में भी एक खाता है जिसमें 15,189,49 रुपए जमा हैं।हमारे लोकतंत्र में जनसेवा के लिए चुनाव लडऩे वाले तमाम ऐसे प्रत्याशी हैं जिनके पास मोदी ,राहुल या कंगना से भी सौ गुना ज्यादा समपत्ति है। हमारा लोकतंत्र किसी धनकुबेर को चुनाव लडऩे से नहीं रोकता । किसी की सम्पत्ती की जांच नहीं करता ,फिर भी देश को लूटने या बनाने के आरोपी अमीरों की उदारता है कि वे सीधे चुनाव नहीं लड़ते। वे इलेक्टोरल बांड के जरिये पैसा देकर लोगों को ,पार्टियों को चुनाव लड़वाते हैं। ये वे लोग हैं जो [बकौल मोदी जी ] राहुल गांधी के यहां टेम्पो में भर -भरकर रुप्प्या पहुंचते हैं।अभी तक उपलब्ध जानकारी के मुताबिक़ अकूत सम्पत्ति के मालिकों के बीच सबसे गरीब उम्मीदवार कट्टा आनंद बाबू हैं, जो कि आंध्र प्रदेश के बापटला संसदीय क्षेत्र से निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं। 32 साल के आनंद बाबू पोस्ट ग्रेजुएट है।
इनके खिलाफ कोई भी आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है। इनकी कुल चल संपत्ति 7 रुपये है, जबकि अचल संपत्ति के नाम पर कुछ भी नहीं है। इसके अलावा इनके ऊपर 2.5 लाख रुपये का कर्ज भी है। मुझे पता है कि ये देश कभी भी आनंद बाबू को अपना जन प्रतिनिधि नहीं चुनेगा । इस देश में आंध्र प्रदेश की गुंटूर सीट से टीडीपी के टिकट पर चुनाव लड़ रहे डॉ. चंद्रशेखर पेम्मासानी ही चुने जायेंगे। चंद्रशेखर पेम्मासानी के पास कुल संपत्ति 5,705 करोड़ रुपये से अधिक की है।
भारत के इस अजब-गजब लोकतनत्र में प्रत्याशी जितने अजब-गजब हैअन मतदाता भी उतने ही अजब-गजब है। वे आनंद जैसों को नहीं पेम्मासानी जैसों को ही चुनते हैं। मतदाता कभी किसी से ये सवाल नहीं पूछता कि उसके पास आखिर अकूत दौलत आई तो आई कहाँ से ? वैसे भी लोकतांत्र के ताजा दौर में सवाल करने की इजाजत किसी को है नहीं।
(ये लेखक के स्वतंत्र विचार हैं)