इंदौर विकास बैठक से पहले निर्देश, मेट्रो एमडी को मंत्री कैलाश विजयवर्गीय की हिदायत, सीएम के सामने रखा जाएगा जनसहमति वाला प्रस्ताव

इंदौर शहर के विकास कार्यों को लेकर एक अहम बैठक आयोजित की गई, जिसमें खासतौर पर मेट्रो प्रोजेक्ट को लेकर गंभीर चर्चा हुई। बैठक से पहले ही मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने मेट्रो के प्रबंध निदेशक (एमडी) कृष्ण चैतन्य को स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि मेट्रो परियोजना को लेकर जो सहमति पहले आम जनता और जनप्रतिनिधियों के साथ बनी है, उसी प्रस्ताव को आगे बढ़ाया जाए। किसी भी तरह का नया या बदला हुआ प्रस्ताव बैठक में लाने से बचा जाए, ताकि अनावश्यक विवाद और भ्रम की स्थिति न बने।

जनभावनाओं के अनुरूप ही रखा जाए प्रस्ताव

कैलाश विजयवर्गीय ने जोर देकर कहा कि मेट्रो जैसे बड़े और संवेदनशील प्रोजेक्ट में लोगों की राय और जनप्रतिनिधियों की सहमति सबसे ज्यादा अहम होती है। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि जिस प्रस्ताव पर पहले चर्चा हो चुकी है और जिसे जनता का समर्थन मिला है, वही प्रस्ताव मुख्यमंत्री के सामने रखा जाए। बैठक में कोई नया प्रस्ताव रखकर स्थिति को उलझाने की जरूरत नहीं है। उनका मानना है कि विकास तभी सफल होगा, जब उसमें जनता की भागीदारी और सहमति हो।

मुख्यमंत्री के समक्ष रखा जाएगा तय प्रस्ताव

बैठक में यह भी तय हुआ कि मेट्रो परियोजना से जुड़ा वही प्रस्ताव मुख्यमंत्री के सामने रखा जाएगा, जो पहले से चर्चा और सहमति के बाद तय किया गया है। मंत्री ने कहा कि बैठक का उद्देश्य किसी नई योजना को थोपना नहीं, बल्कि पहले से तय विकास रोडमैप को आगे बढ़ाना है। इससे न केवल निर्णय प्रक्रिया सरल होगी, बल्कि परियोजना को लेकर पारदर्शिता भी बनी रहेगी।

मेट्रो एमडी ने दी स्थिति स्पष्ट करने की जानकारी

मेट्रो एमडी कृष्ण चैतन्य ने मंत्री को आश्वस्त किया कि वे बैठक में वही प्रस्ताव प्रस्तुत कर रहे हैं, जिस पर पहले आमजन और जनप्रतिनिधियों के साथ सहमति बन चुकी है। उन्होंने कहा कि मेट्रो प्रोजेक्ट को लेकर किसी तरह का नया सुझाव या बदलाव बैठक में नहीं रखा जाएगा। उनका कहना था कि प्रोजेक्ट का लक्ष्य शहर को बेहतर ट्रांसपोर्ट सुविधा देना है और इसके लिए सभी हितधारकों की राय को प्राथमिकता दी जा रही है।

भूमिगत मेट्रो से बढ़ेगा बजट, लागत पर भी चर्चा

बैठक में भूमिगत मेट्रो को लेकर भी चर्चा हुई। अधिकारियों ने बताया कि यदि मेट्रो को अंडरग्राउंड बनाया जाता है, तो इससे परियोजना की लागत में करीब 862 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। इस अतिरिक्त बजट को लेकर भी मंथन किया गया, ताकि यह तय किया जा सके कि शहर के हित में कौन सा विकल्प बेहतर रहेगा। सरकार का फोकस इस बात पर है कि विकास कार्य टिकाऊ हों और शहर पर अनावश्यक आर्थिक दबाव न पड़े।

संतुलित विकास पर सरकार का जोर

इस पूरी बैठक का सार यही रहा कि इंदौर के विकास कार्य, खासकर मेट्रो प्रोजेक्ट, पूरी पारदर्शिता और जनसहमति के साथ आगे बढ़ाए जाएं। सरकार और प्रशासन का प्रयास है कि शहर को आधुनिक सुविधाएं मिलें, लेकिन साथ ही जनता की आवाज और शहर की जरूरतों को भी नजरअंदाज न किया जाए।