मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इस दीपावली को एक विशेष रूप से संवेदनशील और भावनात्मक दिन बना दिया जब वे उज्जैन के हामूखेड़ी स्थित कुष्ठधाम पहुंचे और वहां रह रहे कुष्ठ रोगियों के साथ पर्व की खुशियाँ साझा कीं।
मुख्यमंत्री ने अपने हाथों से मिठाइयाँ, पटाखे और उपहार वितरित किए और सभी को दीपावली की मंगलकामनाएं दीं। उनकी यह आत्मीय उपस्थिति सभी रोगियों और उनके परिवारों के लिए किसी आशा की किरण से कम नहीं थी। इस अवसर पर विधायक अनिल जैन कालूहेड़ा, संजय अग्रवाल, कलेक्टर रौशन कुमार सिंह, पुलिस अधीक्षक प्रदीप शर्मा समेत बड़ी संख्या में नागरिक, अधिकारी और कर्मचारी उपस्थित थे।
“भाई-बहनों के साथ दीपावली मनाकर मिला असली आनंद” – मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा कि “आज अपने इन भाई-बहनों के साथ दीपावली मनाकर मुझे आत्मीय आनंद की अनुभूति हो रही है।” उन्होंने सभी के स्वास्थ्य, समृद्धि और सुखमय जीवन की कामना करते हुए कहा कि सरकार इन परिवारों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए हरसंभव सहायता करेगी।
उन्होंने उज्जैन कलेक्टर को निर्देश दिए कि हर कुष्ठ रोगी परिवार का सर्वेक्षण नियोजित ढंग से कराया जाए और जो भी आवश्यकता हो, वह शासन की ओर से उपलब्ध कराई जाए। उन्होंने यह भी सुनिश्चित किया कि सभी पात्र कुष्ठ रोगियों को पेंशन योजनाओं का लाभ मिलना तय है।
उज्जैन में चौमुखी विकास का उल्लेख
मुख्यमंत्री ने इस मौके पर उज्जैन में चल रहे विकास कार्यों पर भी चर्चा की। उन्होंने बताया कि शहर में टू-लेन और फोर-लेन सड़कों का निर्माण हो रहा है, रोजगार के नए अवसर पैदा करने के लिए फैक्ट्रियाँ स्थापित की जा रही हैं और समग्र विकास हर दिशा में दिखाई दे रहा है।
यह केवल बुनियादी ढांचे का विकास नहीं है, बल्कि सामाजिक समरसता और समर्पण की भावना से जुड़ा समावेशी विकास है, जहां समाज के हर वर्ग को साथ लेकर चलने का प्रयास किया जा रहा है।
समाजसेवी ने की 21-21 हजार की आर्थिक सहायता की घोषणा
मुख्यमंत्री की प्रेरणा से समाजसेवी प्रकाश यादव ने हर कुष्ठ रोगी परिवार को 21-21 हजार रुपए की व्यक्तिगत आर्थिक सहायता देने की घोषणा की। यह कदम सरकार और समाज के संयुक्त प्रयासों को दर्शाता है, जो जरूरतमंदों के जीवन में रोशनी और उम्मीद भरने का कार्य कर रहा है।
आम जन से जुड़ाव: दीपावली की खरीदी के बहाने आत्मीय संवाद
कुष्ठधाम से लौटते समय मुख्यमंत्री मोहन यादव ने नागझिरी रोड पर उमेश की दुकान पर रुककर दीपावली की सामग्री खरीदी। उन्होंने दीए, धानी, झाड़ू जैसी पारंपरिक वस्तुएं लेकर स्थानीय व्यापारियों को भी उत्साहवर्धन किया।
मुख्यमंत्री ने दुकानदार की छोटी बच्ची से पढ़ाई के बारे में पूछा और उसे मन लगाकर पढ़ाई करने के लिए प्रेरित किया। इस आत्मीय और सरल व्यवहार से मुख्यमंत्री ने यह स्पष्ट कर दिया कि वे केवल नीति-निर्माता नहीं, बल्कि आम जन के सुख-दुख से गहराई से जुड़े एक जननेता हैं।
एक संवेदनशील पहल, जो बनी उम्मीद की रोशनी
मुख्यमंत्री मोहन यादव की यह पहल केवल एक औपचारिक कार्यक्रम नहीं था, बल्कि यह मानवता, सेवा और समर्पण की मिसाल थी। दीपावली जैसे रोशनी के पर्व को उन्होंने उन लोगों के साथ मनाया जो अक्सर समाज की मुख्यधारा से दूर रह जाते हैं। इस तरह की पहल ना केवल सामाजिक समरसता को बढ़ावा देती है, बल्कि शासन और समाज के बीच विश्वास की एक मजबूत डोर भी तैयार करती है।