रायपुर। छत्तीसगढ़ मंत्रालय अधिकारी-कर्मचारी संघ ने निलंबित आईएएस अधिकारी संतोष वर्मा के खिलाफ कड़ा रुख अख्तियार किया है। संघ ने राज्य के मुख्य सचिव को एक ज्ञापन सौंपकर मांग की है कि संतोष वर्मा को आगामी आईएएस सर्विस मीट (IAS Service Meet) में प्रवेश न दिया जाए। कर्मचारियों का कहना है कि वर्मा का पिछला आचरण और विवादित छवि आयोजन की गरिमा को धूमिल कर सकती है।
संघ के अध्यक्ष महेंद्र सिंह राजपूत के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने मुख्य सचिव से मुलाकात की। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि मंत्रालय के कर्मचारी संतोष वर्मा की उपस्थिति को लेकर असहज हैं। संघ का तर्क है कि जिस अधिकारी पर गंभीर आरोप लगे हों और जो पूर्व में कर्मचारियों के साथ अभद्र व्यवहार का आरोपी रहा हो, उसे ऐसे प्रतिष्ठित आयोजन का हिस्सा नहीं बनाया जाना चाहिए।
मारपीट और अभद्रता का पुराना मामला
इस विरोध की जड़ें एक पुरानी घटना से जुड़ी हैं। मंत्रालय कर्मचारी संघ ने अपने ज्ञापन में उस घटना का विशेष उल्लेख किया है जब संतोष वर्मा ने कथित तौर पर मंत्रालय के एक कर्मचारी के साथ मारपीट और गाली-गलौज की थी। संघ का आरोप है कि उस वक्त वर्मा ने अपनी पदीय हनक दिखाते हुए कर्मचारी को अपमानित किया था। इस घटना के बाद से ही मंत्रालय के कर्मचारियों में उनके प्रति गहरा रोष व्याप्त है।
संघ के पदाधिकारियों ने कहा, ‘आईएएस मीट अधिकारियों और उनके परिवारों के मिलन का एक सौहार्दपूर्ण कार्यक्रम होता है। ऐसे में एक दागी छवि वाले और कर्मचारियों के साथ दुर्व्यवहार करने वाले अधिकारी की मौजूदगी से वहां का माहौल तनावपूर्ण हो सकता है।’
फर्जी जाति प्रमाण पत्र मामले में रहे हैं निलंबित
गौरतलब है कि संतोष वर्मा पहले से ही विवादों में घिरे रहे हैं। उन पर फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर नौकरी पाने का गंभीर आरोप लगा था। इस मामले में पुलिस ने उनके खिलाफ कार्रवाई भी की थी और उन्हें निलंबित किया गया था। वह काफी समय तक जेल में भी रहे। हालांकि, हाल ही में उन्हें सेवा में बहाल किया गया है, लेकिन कर्मचारी संघ का मानना है कि उनकी बहाली का मतलब यह नहीं है कि उनके पिछले कृत्य भुला दिए जाएं।
संघ की चेतावनी: अगर मांग नहीं मानी तो होगा विरोध
मंत्रालय अधिकारी-कर्मचारी संघ ने प्रशासन को चेतावनी भी दी है। उन्होंने कहा है कि यदि उनकी मांग को अनदेखा किया गया और संतोष वर्मा को आईएएस मीट में प्रवेश दिया गया, तो कर्मचारी इसका पुरजोर विरोध करेंगे। संघ ने संकेत दिया है कि वे कार्यक्रम स्थल पर काले झंडे दिखाकर या नारेबाजी कर अपना विरोध दर्ज करा सकते हैं। फिलहाल, गेंद अब प्रशासन के पाले में है कि वे कर्मचारियों की नाराजगी को कैसे शांत करते हैं।