रवि लोहिया
न्यूज विश्लेषक
बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रहे अत्याचार और हिंसा का मुद्दा लगातार चर्चा में है। इन घटनाओं से यह सवाल उठता है कि क्या मोदी सरकार ( Modi government ) बांग्लादेश को इन घटनाओं पर रोक लगाने के लिए मजबूर कर सकती है। भारत के पास आर्थिक, राजनीतिक और कूटनीतिक शक्ति है, लेकिन क्या वह इस मामले में कदम उठाएगा? भारत पर बांग्लादेश के हिंदुओं की सुरक्षा के लिए आवाज उठाने का नैतिक दायित्व है। भारत के हिंदुओं और धार्मिक संगठनों के बीच भी इस मुद्दे पर गहरी असंतुष्टि है। बांग्लादेश में हिंदुओं पर हमले, मंदिरों को नुकसान पहुंचाना, और जमीन हड़पने के मामले आम हो गए हैं। कई हिंदू परिवार अपनी संपत्ति और सम्मान की सुरक्षा के लिए पलायन करने को मजबूर हो रहे हैं। बांग्लादेश मे कानूनी प्रक्रियाओं में भेदभाव भी हिंदुओं को न्याय से दूर रखता है। स्थानीय प्रशासन कई बार सांप्रदायिक हिंसा को रोकने में निष्क्रिय रहता है।
Modi government ने अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर दिया है जोर
भारत और बांग्लादेश के संबंध ऐतिहासिक रूप से मजबूत रहे हैं, खासकर 1971 के बाद। भारत ने बांग्लादेश को लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता के लिए समर्थन दिया है। मोदी सरकार ( Modi government) ने कई बार अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर ज़ोर दिया है, लेकिन बांग्लादेश पर खुला दबाव बनाने से दूर रहे 7 यदि भारत इस मुद्दे पर खुलकर हस्तक्षेप करता है, तो इससे बांग्लादेश की राजनीति अस्थिर हो सकती है, जिससे कट्टरपंथी ताकतों को बढ़ावा मिल सकता है। भारत शांत कूटनीतिक प्रयासों के जरिए बांग्लादेश सरकार को अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए प्रेरित कर सकता है। भारत ने पहले भी संवेदनशील मुद्दों पर पर्दे के पीछे कूटनीति का उपयोग किया है। भारत संयुक्त राष्ट्र, सार्क, और अन्य मानवाधिकार संगठनों के जरिए इस मुद्दे को उठाकर वैश्विक दबाव बना सकता है। यह कदम बांग्लादेश को अंतरराष्ट्रीय आलोचना से बचने के लिए मजबूर कर सकता है। भारत बांग्लादेश को दी जाने वाली आर्थिक सहायता और व्यापार पर शर्तें लागू कर सकता है। भारत यह संदेश दे सकता है कि अल्पसंख्यकों की सुरक्षा भारतीय संबंधों का प्रमुख हिस्सा है। दोनों देशों के सांस्कृतिक और धार्मिक संगठनों के माध्यम से संवाद बढ़ाया जा सकता है। भारत को अपने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय हितों को संतुलित रखते हुए अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सक्रिय होना चाहिए। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हिंदुओं की सुरक्षा और सांप्रदायिक सौहार्द के लिए नीति तैयार करनी होगी। अगर भारत इस दिशा में कदम उठाने से चूकता है, तो यह न केवल बांग्लादेश में हिंदुओं की स्थिति को और कमजोर करेगा, बल्कि भारत की नैतिक और कूटनीतिक स्थिति को भी चुनौती देगा।