भारत के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर की रफ्तार अब नई ऊंचाइयों को छूने वाली है! एक लंबे इंतज़ार के बाद, इंदौरवासियों को मिलने जा रही है मेट्रो की सौगात यहां पर सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों से मेट्रो सहित करोड़ो के विकास कार्यो की सौगात मिलेगी। 31 मई को, पीएम मोदी वर्चुअल माध्यम से इंदौर मेट्रो के पहले का शुभारंभ करने जा रहे है यह सिर्फ एक ट्रेन नहीं, बल्कि इंदौर के स्मार्ट भविष्य की पटरी पर पहला कदम है! पहले चरण में 6 किलोमीटर लंबा सुपर प्रायोरिटी कॉरिडोर जनता के लिए खोला जाएगा। यह हिस्सा येलो लाइन का हिस्सा है और शहर के सबसे तेजी से विकसित हो रहे इलाकों में चलते हुए सुपर कॉरिडोर को मेट्रो नेटवर्क से जोड़ेगा इसमें अभी कुल 5 स्टेशन गांधीनगर, सुपर कॉरिडोर-6, सुपर कॉरिडोर-5, सुपर कॉरिडोर-4, सुपर कॉरिडोर-3 पर चलेगी। यह मेट्रो सिर्फ ट्रैफिक जाम से राहत नहीं देगी, बल्कि यह इंदौर को ग्रीन और सस्टेनेबल फ्यूचर की ओर ले जाएगी। जैसे-जैसे लोग निजी वाहनों से मेट्रो की ओर रुख करेंगे, वैसे-वैसे शहर की हवा भी साफ होती जाएगी।
सिंहस्थ 2028 को भी मिली रफ्तार
सिंहस्थ 2028 को भव्य और ऐतिहासिक बनाने की तैयारियाँ ज़ोरों पर हैं! इसी कड़ी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 31 मई को भोपाल के जंबूरी मैदान में एक विशेष कार्यक्रम के दौरान जल संसाधन विभाग द्वारा प्रस्तावित 863.69 करोड़ रुपये के विकास कार्यों का वर्चुअल भूमि पूजन करेंगे। यह आयोजन सिंहस्थ महाकुंभ से जुड़ी आधारभूत सुविधाओं को मजबूत बनाने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है। इन विकास कार्यों में प्रमुख रूप से शिप्रा नदी पर 778.91 करोड़ रुपये की लागत से घाटों का भव्य निर्माण और 84.78 करोड़ रुपये की लागत से बैराज, स्टॉप डेम एवं वेंटेड कॉजवे जैसे संरचनात्मक कार्य शामिल हैं। यह सब श्रद्धालुओं को निर्मल और अविरल शिप्रा जल में श्रद्धा के साथ स्नान करने का बेहतर अनुभव देने के उद्देश्य से किया जा रहा है।
शिप्रा के घाटों से लेकर कान्ह की सुरंगों तक
जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट ने जानकारी दी कि शिप्रा नदी के दोनों किनारों पर शनि मंदिर से लेकर नागदा बायपास तक लगभग 30 किलोमीटर लंबा घाट निर्माण कराया जाएगा। यह कार्य दिसंबर 2027 तक पूर्ण करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके साथ ही, उज्जैन, इंदौर और देवास जिलों में कुल 9 नए बैराज, कालियादेह स्टॉप डेम का नवीनीकरण, और कान्ह नदी पर 11 नए बैराजों का निर्माण कार्य भी किया जाएगा। इस परियोजना के तहत कान्ह नदी के दूषित जल को उज्जैन शहर की सीमा के बाहर शिप्रा नदी में स्थानांतरित किया जाएगा। इसके लिए 18.5 किमी लंबी कट/कवर संरचना और 12 किमी सुरंग का निर्माण किया जा रहा है। परियोजना का कार्य मार्च 2024 से शुरू हो चुका है और इसे सितंबर 2027 तक पूर्ण करना है। इस योजना में शिप्रा नदी पर एक बैराज बनाया जाएगा, जिससे पानी पंप कर सिलारखेडी जलाशय में एकत्रित किया जाएगा। यह पानी श्रद्धालुओं को पर्वों पर पवित्र स्नान के लिए उपलब्ध कराया जाएगा और साथ ही उज्जैन शहर की पेयजल ज़रूरतें भी पूरी होंगी। सिंहस्थ 2028 को ध्यान में रखते हुए कुल 2,398 करोड़ रुपये की लागत से परियोजनाओं को दिसंबर 2027 तक समय-सीमा में पूरा किया जाना है। यह सिर्फ विकास नहीं, आस्था और संस्कृति के संरक्षण की दिशा में एक विशाल कदम है।