स्वतंत्र समय, भोपाल
मोहन कैबिनेट के मंत्रियों ने 12 अगस्त को प्रभार ( in-charge ) के जिलों की जिम्मेदारी मिलने के बाद 40 से अधिक जिलों का दौरा कर लिया है। वहीं कुछ मंत्रियों के दौरे अभी बाकी हैं। प्रभार के जिलों में मंत्रियों के कम से कम एक रात्रि रुकने और हर महीने दौरे करने के निर्देश 15 दिन पहले दिए थे। अगली कैबिनेट में मंत्रियों के प्रभार के जिलों में प्रवास के फीडबैक को लेकर चर्चा हो सकती है।
15 अगस्त के पहले जिलों का बनाया गया था in-charge
मंत्रिमंडल के गठन के आठ महीने बाद 15 अगस्त के पहले जिलों का प्रभार ( in-charge ) सौंपा गया था। इसमें कई मंत्रियों को दो जिलों का प्रभारी बनाया गया। कुछ मंत्रियों के प्रभार के एक जिले से दूसरे जिले और उनके गृह नगर से दूरी पांच सौ किमी से अधिक है। ऐसे में प्रभार के जिलों को लेकर बदलाव की कोशिश भी की गई है लेकिन सरकार ने इससे इनकार कर दिया है। इसके चलते लंबी दूरी के बाद भी सीनियर नेता और मंत्री प्रहलाद पटेल ने अपने प्रभार वाले दोनों ही जिलों का दौरा भी कर लिया है।
ये मंत्री कर चुके हैं प्रभार के जिलों के दौरे
पंचायत मंत्री प्रहलाद पटेल के अलावा जो अन्य मंत्री प्रभार के जिलों का दौरा कर चुके हैं, उनमें डिप्टी सीएम राजेंद्र कुमार शुक्ल सागर और शहडोल में बैठकें ले चुके हैं। वहीं मंत्री विजय शाह ने दो दिन के अंतराल में झाबुआ और रतलाम जिलों का दौरा कर वहां कलेक्टर और जिला अधिकारियों के साथ बैठक की। मंत्री संपतिया उइके सिंगरौली और अलीराजपुर का, कृष्णा गौर सीहोर और टीकमगढ़ और राधा सिंह मैहर जिले का दौरा प्रभारी मंत्री के तौर पर कर चुके हैं। डिप्टी सीएम जगदीश देवड़ा 15 अगस्त को जबलपुर में ध्वजारोहण के लिए पहुंचे थे और बैठकें ली थीं। वहीं राकेश सिंह अस्वस्थ होने के कारण प्रभार के जिलों छिंदवाड़ा और नर्मदापुरम नहीं जा सके हैं। करण सिंह वर्मा ने अभी मुरैना का दौरा नहीं किया। उदय प्रताप सिंह कटनी गए, लेकिन बालाघाट नहीं पहुंचे। मंत्री कैलाश विजयवर्गीय धार और सतना जिले के प्रभारी मंत्री हैं, लेकिन अभी दौरा नहीं किया है।