मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रेरणादायक नारे “विरासत से विकास की ओर” को अमल में लाते हुए राज्य की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत को संरक्षित और संवर्धित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। उन्होंने घोषणा की कि राज्य सरकार अब विकास की नीतियों को स्थानीय विरासत के साथ जोड़कर आगे बढ़ेगी।
इसी क्रम में 3 जून को पचमढ़ी में एक विशेष कैबिनेट बैठक आयोजित की जाएगी, जो आदिवासी राजा श्री भभूत सिंह की स्मृति को समर्पित होगी। यह बैठक न केवल ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह सरकार के उस प्रयास का भी प्रतीक है जिसमें पारंपरिक धरोहरों को विकास की योजनाओं में शामिल किया जा रहा है।
यह बैठक विशेष रूप से इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह 1945 के बाद पहली बार होगा जब पचमढ़ी स्थित ऐतिहासिक राजवाड़ा के दरबार हॉल में किसी मंत्री परिषद की बैठक आयोजित की जा रही है। 1945 में यशवंतराव होलकर ने यहां अपनी अंतिम मंत्री परिषद की बैठक की थी। अब वर्षों बाद मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में इस विरासत स्थल पर फिर से राजनीतिक विमर्श होगा।
कैबिनेट बैठक के बाद मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने मीडिया को बैठक की जानकारी दी। हालांकि, मंत्री विजय शाह इस बैठक में शामिल नहीं हुए। बताया गया कि कर्नल सोफिया कुरैशी पर की गई टिप्पणी को लेकर विवाद के चलते वे अनुपस्थित रहे।
इस पूरी प्रक्रिया का उद्देश्य राज्य की ऐतिहासिक विरासतों को केवल स्मरण करना नहीं है, बल्कि उन्हें सक्रिय रूप से विकास यात्रा में सम्मिलित करना है ताकि समाज के हर वर्ग को इससे लाभ मिल सके, विशेष रूप से आदिवासी समुदायों को, जिनका इतिहास और योगदान अब सामने लाया जा रहा है।