राम मंदिर के पुजारी को लेकर चर्चाएं काफी जोरो पर थी। लेकिन अब सामने आ गया है कि राम मंदिर का पुजारी कौन होगा। जो हां गाजियाबाद के दूधेश्वर वेद विद्यापीठ के विद्यार्थी मोहित पांडे अयोध्या में राम मंदिर के पुजारी होंगे। जानकारी के मुताबिक मोहित ने सात साल तक अध्ययन किया और साथ ही तिरुपति स्थित तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम से संबद्ध श्री वेंकटेश्वर वैदिक विश्वविद्यालय से स्नातक कर शास्त्री की उपाधि हासिल की।
राममंदिर निर्माण में देश के कई राज्यों का किसी न किसी रूप में योगदान
राममंदिर निर्माण में देश के कई राज्यों का किसी न किसी रूप में योगदान है। इसके लिए राज्यों की प्रचलित और सर्वश्रेष्ठ ऐसी सामग्रियों का चयन किया गया जो मंदिर की दृष्टि से उपयोगी हों। इसी आधार पर श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट दावा करता है कि रामनाम के धागे में पूरा देश पिरोया जा रहा है। निर्माणाधीन राममंदिर में संपूर्ण भारत का प्रतिनिधित्व है।
राम मंदिर के पुजारी ने यहां से प्राप्त की शिक्षा
बात अगर राम मंदिर के पुजारी की करें तो वह रामानंदीय परंपरा के विद्वान भी हैं और उन्हें वेद, शास्त्र और संस्कृत में विशेषज्ञता भी प्राप्त है। मोहित पांडे को गाजियाबाद के दूधेश्वर विद्या पीठ में दूधेश्वर नाथ मठ महादेव मंदिर में महंत, पंच दशनाम जूना अखाड़ा के अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता, दिल्ली संत महामंडल के राष्ट्रीय अध्यक्ष व यूनाइटिड हिंदू फ्रंट के अध्यक्ष श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज की देखरेख में विधा अध्यन का मौका भी मिला था।
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प्राण प्रतिष्ठा से पहले तैयारियां जोरो पर
बता दें रामलला का भव्य मंदिर आकार ले चुका है। पहले चरण का कार्य लगभग पूरा करा लिया गया है। 22 जनवरी 2024 को मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा से पहले तैयारियों को आखिरी रूप दिया जा रहा है। मंदिर के उद्घाटन के बाद भी राम भक्तों को भगवान राम की प्रतिमा को छूने का अवसर नहीं मिल पाएगा। भक्तों को गर्भगृह में भी जाने की अनुमति नहीं होगी। लोग लगभग 35 फीट की दूरी से भगवान के दर्शन करेंगे।
गर्भगृह में केवल प्रधानमंत्री और पुजारी को ही प्रवेश
श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सूत्रों के अनुसार, यह व्यवस्था गर्भगृह की पवित्रता को बनाए रखने के लिए की गई है। साथ ही हिंदू धार्मिक मान्यता के अनुसार मंदिर के गर्भगृह में केवल राजा और मंदिर के पुजारी को ही जाने का अधिकार होता है। इस पारंपरिक व्यवस्था को ध्यान में रखते हुए गर्भगृह में केवल प्रधानमंत्री और पुजारी को ही प्रवेश मिलना तय किया गया है। इस समय भी देश के बड़े-बड़े मंदिरों में भक्तों को गर्भगृह तक जाने की अनुमति नहीं होती।